केदारनाथ आपदा में तबाह हुए तप्तकुंड का स्रोत मिला, पानी पहले की तरह शुद्ध और गर्म
Jul 17 2018 2:41PM, Writer:कपिल
केदारनाथ यात्रा का सबसे मुख्य पड़ाव है गौरीकुंड। मां गौरा माई का मंदिर और तप्तकुंड यहां की शोभा बढ़ाते थे। तप्तकुंड का गर्म पानी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुकून देने का काम करता था। साल 2013 में आई भीषण आपदा के चलते सब तबाह हो गया था। इस दौरान तप्तकुंड भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। बीते साल डीएम मंगेश घिल्डियाल की पहल पर तप्तकुंड का पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ था। तप्तकुंड के पुनरोद्धार के काम में जुटे मजदूरों ने एक महीने पहले यहां गरम पानी के स्रोत को ढूंढने के लिए खुदाई की थी। भूजल आयोग की टीम की मौजूदगी में ये काम शुरू किया गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि तप्तकुंड का मुख्य स्रोत अपने मूल स्थान से 150 मीटर आगे खिसक चुका है। पानी की गर्माहट अभी भी बरकरार है। इस बारे में कुछ खास बातें भी जानिए।
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बताया जा रहा है कि इस पानी की गर्माहट 25 डिग्री से लेकर 45 डिग्री के बीच है। पानी की तीव्रता अभी भी पहले जैसी ही है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों के मुताबिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में तप्तकुंड को संरक्षित करने का काम आधुनिक तकनीकि से किया जा रहा है। आपकोे बता दें कि 16 17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा में गौरीकुंड बुरी तरह से तबाह हुआ था। गौरी माई मंदिर के पास तप्तकुंड भी तबाह हुआ था। इसके बाद यहां के गरम पानी का रिसाव नदी के किनारे होने लगा था। इसके बाद बदरी-केदार मंदिर समिति द्वारा वाडिया भू-विज्ञान संस्थान को पत्र लिखा गया था। मांग की गई थी कि तप्तकुंड को उसके वास्तविक स्वरूप में लाया जाए। इसके बाद अक्तूबर 2016 में यहां विशेषज्ञों द्वारा सर्वे किया था।
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साल 2017 में एक बार फिर से गहन परीक्षण किया गया था। उस दौरान विशेषज्ञों ने कुछ खास बातें बताई थीं। उस दौरान विशेषज्ञों ने कहा था कि स्रोत तो सुरक्षित है ही, साथ ही यहां ऐसे कई और भी स्रोत हैं। बीते साल ही सिंचाई विभाग को तप्तकुंड के पुनरोद्धार की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद गढ़वाल मंडल विकास निगम को इसे सौंपा गया। कुल मिलाकर कहें तो ये एक बेहतरीन खबर है। तप्तकुंड एक बार फिर से अपने पुराने रूप में आ सकेगा। एक बार फिर से देश और दुनिया के श्रद्धालुओं यहां सिर झुकाएंगे। इसके संरक्षण के लिए काम शुरू कर दिया गया है। खास बात ये भी है कि पानी पहले की तरह शुद्ध और गर्म है। आपदा में पूरी तरह ध्वस्त हुए स्रोत पर पूर्व की भांति अब भी पर्याप्त पानी है। भू-गर्भीय विशेषज्ञों की मौजूदगी में आगे का काम किया जाना है।