पहाड़ के गरीब घर का बेटा...मां से किया हुआ वादा निभाया, अार्मी अफसर बनकर घर लौटेगा
Jul 21 2018 8:26AM, Writer:कपिल
कहते हैं कि सपने देखने चाहिए क्योंकि जो लोग सपने देखते हैं,वो ही इन्हें पूरा भी कर पाते हैं। किसी के दिल में क्रिकेटर बनने का सपना, किसी के दिल में बॉलीवुड स्टार बनने का सपना, तो किसी के दिल में डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना। लेकिन कुछ ही मतवाले एसे होंते हैं, जो बचपन से ही देशसेवा का सपना अपनी आंखों में पालते हैं। ऐसे मतवाले आपको उत्तराखंड में दिखेंगे। उत्तराखंड के बारे में कहा जाता है कि यहां आपको हर घर में एक फौजी नज़र आएगा। ऐसे ही एक वीर सिपाही हैं अल्मोड़ा के दाड़िमी गांव के सुन्दर सिंह बोरा। सुन्दर ने अपना सपना पूरा कर दिखाया है, जिस वजह से उनके गांव में खुशी का माहौल है। हर कोई जानता है कि इसके पीछे सुन्दर की कड़ी मेहनत और देश की सेवा का जुनून है।
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सुन्दर सिंह बोरा ने बचपन से ही गरीबी देखी। बचपन में ही पिता राजेंद्र सिंह बोरा की मौत हो गई थी। लेकिन धन्य है वो मां, जिन्होंने पिता की कमी का अहसास नहीं होने दिया। बच्चों को मां का प्यार भी खुद दिया और पिता का दुलार भई खुद ही दिया। बेहद ही मुश्किल हालातों में उन्होंने अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। चार भाइयों में सबसे छोटे सुंदर यूं तो चार साल पहले ही देश की सेना में भर्ती हो गए थे। इसके बाद भी उनके दिल में आर्मी अफसर बनने का जुनून सवार था। इसके लिए वो लगातार मेहनत करते रहे। अब सुन्दरने सीडीएस की परीक्षा पास कर ली है। इस वजह से उनका सलेक्शन आर्मी कैडेट कोर में हो गया है। यानी अब आप जवान सुन्दर सिंह नहीं बल्कि लेफ्टिनेंट सुन्दर सिंह के नाम से इस सपूत को जानेंगे। हर कोई सुन्दर की मां को सलाम कर रहा है।
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सुन्दर जिस दौरान राजकीय पॉलिटेक्निक कांडा (बागेश्वर ) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक कर रहे थे, उस दौरान ही वो सेना में भर्ती हुए थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वो सेना की तैयारियों में भी जुटे रहते थे। कहते हैं कि सी भी चीज को अगर दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में जुट जाती है। सुन्दर ने देश की सेवा का जज्बा अपने दिल में पाला और आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। अपनी मां की मेहनत और लगन को सुन्दर कभी नहीं भूल सकते, अपने जीवन में किए हुए संघर्ष को वो कभी भूल नहीं सकते। पिता को खोने के बाद भी एक मां द्वारा परिवार को संभालना और बच्चों के दिल में नया हौसला जगाना किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं। राज्य समीक्षा की टीम की तरफ से सुन्दर सिंह बोरा की मां को सलाम।