बदरीनाथ की आरती मौलाना बदरुद्दीन ने नहीं लिखी..बल्कि पहाड़ के एक विद्वान ने लिखी थी
Jul 25 2018 8:56AM, Writer:कपिल
बड़े आश्चर्य और हैरानी की बात है...दुनियाभर में काफी लोग कहते हैं कि श्री बदरीनाथ की आरती मौलाना बदरुद्दीन शाह ने लिखी थी। यहां तक कि सहारनपुर में एक मौलाना ने तो ये भी कह दिया था कि बदरीनाथ पर मुस्लिमों का हक है क्योंकि यहां बदरुद्दीन शाह की मजार है। इन सब बातों के बीच हम आपके लिए कुछ रोचक बातें लेकर आए हैं, जिसके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है। बदरीनाथ जी की आरती ‘पवन मंद सुगंध शीतल’ हर किसी ने सुनी होगी। क्या आप जानते हैं कि इसके रचयिता कौन थे ? 1881 में स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने इस आरती को लिखा था और इसकी पांडुलिपि आज भी मौजूद है। रुद्रप्रयाग जिले में तल्ला नागपुर पट्टी के सतेरा स्यूपुरी के विजरवाणा के रहने वाले स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने ये आरती लिखी थी। इसके बारे में कुछ रोचक बातें जानकर आपको भी हैरानी होगी।
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इसके सबूत के तौर पर हम आपके सामने एक पांडुलिपि लेकर आए हैं। जो पांडुलिपि हम आपको दिखा रहे हैं इस पाण्डुलिपि के अंत में लिखी सूचना के मुताबिक ये माघ माह 10 गते (सन् 1881) को स्व0 ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल द्वारा लिखी गयी है। इस पाण्डुलिपि की मुख्य विशेषता ये है कि वर्तमान आरती का प्रथम पद यानी ‘’पवन मंद सुगन्ध शीतल" इस आरती का पांचवा पद है। वर्तमान आरती से ये आरती 5 पद ज्यादा है। इस पाण्डुलिपि की एक तस्वीर देख लीजिए।
गजब की बात तो ये भी है कि इस पाण्डुलिपि के पहले 5 पद वर्तमान आरती में नहीँ हैं। इसी तरह वर्तमान आरती और पाण्डुलिपि के पदों में जहां समानता है, वहीं पद संयोजन में भी भिन्नता है। पाण्डुलिपि में गढ़वाली भाषा के शब्दों का प्रयोग भी है। जैसे कौतुक के स्थान पर कौथिग, पवन के स्थान पर पौन और सिद्ध मुनिजन के स्थान पर सकल मुनिजन अंकित है। आपके लिए इस बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आपको यकीन हो सके कि बदरीनाथ जी की आरती किसी मौलाना बदरुद्दीन ने नहीं बल्कि गढ़वाल के ही एक प्रकांड विद्वान ने लिखी है।
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इसी प्रकार कुछ और बातें भी इस पाण्डुलिपि को बदरीनाथ जी की मूल पाण्डुलिपि होने के तथ्य को मजबूती प्रदान करती हैं। ये पाण्डुलिपि एक ही पत्र पर आगे पीछे लिखी गयी है भगवान नारायण की आरती के कुल 11 पदों के बाद चार धाम की आरती है। अंत में रचयिता के द्वारा भगवान से कल्याण की प्रार्थना की गयी है। इसके बाद उनका नाम भी अंकित है। यहीं पर आरती के लिखने की तिथि और लिखने वाले का नाम पता भी लिखा है। स्व0 ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल जी थाती सतेरा के धर्मपरायण मालगुजार थे। इनके द्वारा लिखी गयी बदरी नाथ जी की आरती की 2 पांडुलिपियां आज भी उनके पड़पोते महेंद्र सिंह बर्त्वाल जी के पास सहेज कर रखी गई हैं। महेंद्र सिंह बर्त्वाल जी कहते हैं कि आज इन पांडुलिपियों पर विस्तृत शोध की आवश्यक्ता महसूस हो रही है। अब आप ही सोचिए कि बदरीनाथ जी की आरती के नाम के नाम पर किसका दुष्प्रचार हुआ और किसे वास्तविक प्रचार की आवश्यकता है।