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उत्तराखंड का सपूत नक्सली हमले में शहीद, 15 दिन पहले ही घर आए थे...अधूरा रहा सपना

Jul 29 2018 11:49AM, Writer:कपिल

शहादत..एक सर्वोच्च बलिदान। शहादत के मायने क्या हैं, ये उत्तराखंड के उन वीर सपूतों के परिवारों से पूछिए, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। एक बार फिर से मातृभूमि की बलिवेदी पर एक और सपूत शहीद हो गया। उत्तराखंड के रामनगर के रहने वाले जवान दीवान नाथ गोसवामी की कुर्बानी एक इतिहास लिख गई है। जरा सोचिए सेना से रिटायर होने में सिर्फ 4 महीने का वक्त बचा था। दीवान नाथ गोस्वामी की आंखें कई सपने सजा रही थी। अपने परिवार के साथ रहने का ख्वाब पाल रहे दीवान नाथ गोस्वामी जी को ये मालूम नहीं था कि देश कुर्बानी मांगेगा और रिटायर होने से चार महीने पहले ही वो अपने ख्वाबों को अधूरा छोड़कर दुनिया से रुखसत हो जाएंगे। दीवान नाथ गोस्वामी बीएसएफ में तैनात थे।

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मेघालय में दीवान नाथ गोस्वामी जी की तैनाती थी। नक्सलियों नापाक कदमों की आहट मेघालय की धरती पर अक्सर सुनाई देती है। एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया और दीवान नाथ गोस्वामी को गोली लग गई। मौके पर ही दीवान नाथ गोस्वामी शहीद हो गए। आज सुबह बीएसएफ मुख्यालय से जवान दीवान नाथ गोस्वामी के शहीद होने की सूचना परिवार को मिली। पूरे घर में मातम का माहौल है, किसी को समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर करें तो क्या करें। चार महीने बाद जो घर आने वाला था, वो तिरंगे में लिपटकर घर आएगा। परिवार ने भी कई सपनो सजाए थे, लेकिन हर सपना चकनाचूर हो गया। भगवान परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

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15 दिन पहले ही BSF ने छुट्टी में घर आये दीवान नाथ गोस्वामी को ड्यूटी में बुलाया था। बीती रात मेघालय में नक्सली हमले में शहीद हुए दीवान के घर मे उनकी मौत की खबर के बाद कोहराम मचा हुआ है। घर में शहीद दीवान की पत्नी और दो बेटियां हैं। शहीद दीवान के बड़े भाई गोपाल नाथ गोस्वामी कुमायूं विश्वविद्याल में कार्यरत हैं तो छोटा भाई विजय नाथ गोस्वामी अल्मोड़ा जिले में पुलिस विभाग में तैनात है। शहीद दीवान का पार्थिक शरीर कल दिन में छोई गांव उनके घर पर पहुंचेगा। छोई गांव में हनुमान धाम के पास शहीद का परिवार रहता है।



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