धन्य है देवभूमि...5 हफ्तों में 5 सपूत शहीद हो गए, देशभक्ति का इससे बड़ा सबूत क्या है ?
Jul 29 2018 3:19PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड वीरों की धरती है और इस बात का प्रमाण ये 5 वीर सपूत हैं, जिन्होंने बीते कुछ दिनों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी। 29 जुलाई यानी आज के दिन एक खबर ने फिर से मायूस कर दिया लेकिन देवभूमि के वीर जवानों के लिए दिल में और भी सम्मान पैदा कर दिया। रामनगर के जांबाज दीवान नाथ गोस्वामी जी मेघालय में शहीद हो गए। नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया और दीवान नाथ गोस्वामी को गोली लग गई। मौके पर ही दीवान नाथ गोस्वामी की आंखें हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गई। बीएसएफ मुख्यालय से जवान दीवान नाथ गोस्वामी के शहीद होने की सूचना परिवार को मिली। घर में मातम का माहौल है। चार महीने बाद ही दीवान नाथ गोस्वामी रिटायर होकर घर आने वाले थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। आइए अब आपको उन वीरों के बारे में भी बता देते हैं, जिन्होंने बीते कुछ दिनों में ही अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी।
यह भी पढें - उत्तराखंड का सपूत नक्सली हमले में शहीद, 15 दिन पहले ही घर आए थे...अधूरा रहा सपना

शहीद योगेश परगाई: 21 जून 2018 को उत्तराखंड के नैनीताल जिले के योगेश परगाई ने सिर्फ 22 साल की उम्र में ही देश के लिए कुर्बानी दे दी। योगेश परगाई ओखलकांडा ब्लॉक के भद्रकोट के रहने वाले थे। 4 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनात योगेश परगाई उस टुकड़ी में शामिल थे, जिसकी मुठभेड़ नगालैंड में नक्सलियों से हुई। इसी मुठभेड़ में योगेश परगाई शहीद हो गए। परिवार में योगेश परगाई सबसे छोटे थे। योगेश परगाई की शहादत पर पूरे उत्तराखंड ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी थी।
यह भी पढें - उत्तराखंड का सपूत शहीद, नम हुई हर आंख...22 साल का बच्चा देश के लिए कुर्बान

शहीद हवलदार फतेह सिंह: 18 जून 2017 को ही एक और सपूत देश के लिए कुर्बान हुआ। रुद्रप्रयाग के रहने वाले हवलदार फतेह सिंह नेगी ने सर्वोच्च बलिदान दिया। हवलदार फतेह सिंह 48 साल के थे और मणिपुर के मोन जिले में नक्सली हमले में शहीद हो गए। हवलदार फतेह सिंह नेगी असम राइफल में सेवारत थे और रुद्रप्रयाग जिले के क्यूंजा घाटी के बाड़व गांव के निवासी थे। नक्सलियों की तरफ से घात लगाकर असम राइफल के जवानों पर हमला किया गया था। इस हमले में दो जवान शहीद हुए हैं और करीब चार लोग घायल हुए।
यह भी पढें - उत्तराखंड शहीद...21 साल के बच्चे ने वतन के लिए जान दे दी, पिता से सीखी थी देशभक्ति

शहीद विकास गुरुंग: 17 जून 2018 को देवभूमि के एक और सपूत ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया 21 साल की उम्र क्या होती है? दो साल पहले ही ऋषिकेश के गुमानी वाला के रहने वाले विकास गुरुंग की पहली पोस्टिंग सीमा पर ही हुई थी।जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में गोरखा रेजीमेंट की 2/3 प्लाटून की सैन्य टुकड़ी पेट्रोलिंग कर रही थी। विकास भी इसी प्लाटून में शामिल था। करीब साढ़े आठ बजे सीमा पार से पाकिस्तान की तरफ से अचानक फायरिंग की गई। इस दौरान एक मोर्टार विकास गुरुंग को लग गया। उसी वक्त विकास गुरुंग वीरगति को प्राप्त हो गए।
यह भी पढें - Video: उत्तराखंड शहीद मानवेंद्र सिह रावत को सलाम, आखिरी विदाई में उमड़ा जनसैलाब

शहीद मानवेन्द्र सिंह रावत: 14 जून 2018 को एक खबर मिलती है कि रुद्रप्रयाग के सुदूर गांव कबिल्ठा के रहने वाले मानवेंद्र सिंह रावत शहीद हो गए। जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में भारतीय सेना और आंतकियों के बीच मुठभेड़ हुई। दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग हुई। मानवेंद्र सिंह रावत ने अदम्य साहस दिखाते हुए दो आतंकियों को ढेर कर दिया। इस दौरान एक गोली उनको लगी और वो जमीन पर गिर पड़े। इसके साथ ही वो भी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए। ये हैंवो वीर सपूत जिन्होंने बीत एक महीने में देश के लिए कुर्बानी दी। नमन करें और सलाम करें इनकी शहादत को।