image: aakash ambani and shloka weding in triyuginarayan says report

जय देवभूमि: त्रियुगीनारायण मंदिर में सात फेरे लेंगे मुकेश अंबानी के बेटे और बहू !

Aug 1 2018 1:07PM, Writer:कपिल

उत्तराखंड के यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता। देश-विदेश की बड़ी बड़ी हस्तियों से लेकर बड़े उद्योगपति यहां सिर झुकाते है। ये बात भी सच है कि देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की उत्तराखंड में अपार आस्था है। केदारनाथ और बदरीनाथ के बड़े भक्त कहे जाने वाले मुकेश अंबानी अब एक बड़ा काम कर सकते हैं। मुकेश अंबानी के बेटे आकाश की शादी दिसंबर में होने जा रही है। हीरा कारोबारी रसेल मेहता की बेटी श्लोका के साथ आकाश सात फेरे लेंगे। बताया जा रहा है कि ये सात फेरे त्रियुगीनाराण मंदिर में लिए जा सकते हैं। जी हां अखंड सौभाग्य का प्रतीक कहे जाने वाले त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में मुकेश अंबानी भी अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए बताया जा रहा है कि आकाश और श्लोका इसी मंदिर में सात फेरे ले सकते हैं।

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अंबानी परिवार ने अपने कुल पुरोहित से त्रियुगी नारायण मंदिर के बारे में जानकारी ली है। अंबानी की कंपनी यानी रिलायंस के अधिकारियों ने भी बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह से यहां के महत्व के बारे में जाना। ये ही नहीं रिलायंस के बड़े अधिकारी त्रियुगीनारायण मंदिर का दौरा कर चुके हैं। खबर ये भी है कि उद्योगपति रसेल मेहता के साथी अनिरुद्ध देश पांडे ने भी त्रियुगी नारायण में विवाह की किसी रस्म का सुझाव दिया था। इस वक्त प्रदेश सरकार त्रियुगी नारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में अंबानी परिवार के बेटे की शादी की कोई रस्म यहां निभाई जा सकती है। बताया तो ये भी जा रहा है कि व्यस्थाओं को देखते हुए यहां जयमाला का कार्यक्रम हो सकता है।

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फिलहाल इस पर मुकेश अंबानी की तरफ से आखिरी मुहर लगना बाकी है। आपको याद होगा कि धारावाहिक एफआइआर की चंद्रमुखी चौटाला ने भी त्रियुगीनारायण मंदिर में सात फेरे लिए थे। 3 फरवरी 2017 को कविता कौशिक ने त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान विष्णु को साक्षी मानकर रोनित विश्वास के साथ विवाह किया था। इस मंदिर इलाके के चप्पे-चप्पे पर शिव और पार्वती की शादी के साक्ष्य स्पष्ट नजर आते है। यहां पर आज भी अग्नि कुंड के साथ अखण्ड ज्योति, धर्म शिला मौजूद है। शादी के दौरान देवताओं ने विभिन्न शक्तियों से वेदी में विवाह अग्नि पैदा की थी, जिसे धंनजय नाम दिया गया। यह अग्नि आज भी निरंतर जल रही है। त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे।


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