Video: देवभूमि के घंडियाल देवता को समर्पित बेमिसाल जागर..सोशल मीडिया पर वायरल
Aug 6 2018 12:53AM, Writer:कपिल
ये उत्तराखंड के लोकगीत और परंपराएं ही हैं, जिनकी बदौलत देवभूमि का नाम पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है। लेकिन सवाल ये है कि वक्त के बढ़ते तदमों के साथ कौन इन लोकगीतों और परंपराओं को बचाए रखेगा ? अगर ये ही नहीं रहे तो अस्तित्व का गुगान कौन करेगा ? गर्व इस बात का है कि कुछ लोग हैं, जो वास्तव में उस लोकसंगीत और उन परंपराओं को गीतों को माध्यम से जिंदा रखे हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं अरविंद सिंह रावत। टिहरी गढ़वाल के चम्याला गांव के रहने वाले अरविंद सिंह रावत के बारे में जितनी तारीफ करें, शायद वो कम है। अपने गीतों और कलम की ताकत के जरिए वो उत्तराखंड के लोकसंगीत को नई पहचान दिला रहे हैं। अरविंद सिंह रावत उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग में प्रवक्ता के पद पर काम कर रहे हैं।
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आप इस गीत को सुनेंगे तो आपको अहसास होगा कि अरविंद सिंह रावत को लोकगीतों की कितनी समझ है। घंडियाल देवता पर बनया गया ये गीत, ये सुर, ये बोल और ये लेखनी वास्तव में गजब की है। अरविंद सिंह रावत वो ही चेहरा हैं, जो साल 2015 में ‘साथ माया को’ एलबम लेकर आए थे। इस पूरी एलबम में कुल मिलाकर 8 गीत थे और इन्हीं गीतों में शामिल था ये भक्ति गीत। पांडवाज़ क्रिएशन के ईशान डोभाल ने इस गीत में संगीत देने का काम किया है। सुभाष पांडे ने गजब की रिदम से इस गीत को सजाया है। ये विशुद्ध गढ़वाली जागर है और इसके संगीत को तैयार करने में सबसे बड़ी चुनौती ये ही बात थी। जागर का संगीत एकदम अलग होता है, गायकी अलग होती है। खुशी इस बात की है कि अरविंद सिंह रावत ने इसकी खूबसूरती को बरकरार रखा है। आप भी सुनिए और सुनाइए। ऐसे गीत अब बहुत कम बनते हैं।