‘फौजी को फौजी ही रहने दो, उसे नौकर मत बनाओ’..जनरल रावत ने दी खुली चेतावनी
Aug 16 2018 9:24AM, Writer:कपिल
सैनिकों को सैनिक ही रहने दीजिए, उन्हें ‘भैयाजी’ मत बनाओ। सेना को मजबूत बनाने और जवानों के मनोबल को बढ़ाने के लिए आर्मी चीफ बिपिन रावत ने बड़ा फैसला किया है। भारतीय सेना में काफी लंबे वक्त से एक विवाद चला आ रहा है। देखा जाता है कि जवानों को भारतीय सेना के अधिकारियों के घर सहायक के तौर पर काम करना पड़ता है। ऐसे में भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी ने इन जवानों के लिए आवाज उठाई। जनरल बिपिन रावत ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेना के रिटायर्ड अधिकारियों के घर पर काम कर रहे 2000 जवानों को सेना में वापस लाने का फैसला किया है। पूरे देश ने जनरल रावत के इस फैसले का साथ दिया है। ये ही नहीं इस वक्त देश के कई दूसरे हिस्सों में भी ऐसा ही हाल है। अब उन हजारों जवानों को वापस लाने की कार्रवाई चल रही है।
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आपको बता दें कि इस वक्त दिल्ली, गुडगांव और नोएडा में रहने वाले सेना के हजारों रिटायर्ड अधिकारियों के घरों पर भारतीय सेना के सैनिक बतौर सहायक काम कर रहे हैं। भारतीय सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि इन जवानों की सेना में वापसी होगी। जितने भी जवान सहायक के तौर पर सेवानिवृत्त अधिकारियों के घर पर काम कर रहे हैं, उन्हें हर हाल में सेना में वापस बुलाया जाएगा। जनरल बिपिन रावत ने साफ कहा है कि ‘’ये सेना के जवान हैं, इनका काम देश की सुरक्षाव करना है और खुद का शरीर फिट रखना है। इसलिए इन जवानों से अर्दलियों जैसा काम किसी भी हाल में ना करवाएं।’’ सेना प्रमुख बिपिन रावत ने सेना में ‘सहायक’ व्यवस्था पर एक ऐसा फैसला लिया है, जिसे सालों पहले ही ले लिया जाना चाहिए था। रिटायर्ड जनरलों के लिए सेना की तरफ से सहायक देने की सुविधा खत्म हो गई है।
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अब सीनियर ऑफिसर्स की ‘सहायता’ के लिए तैनात सहायकों की व्यवस्था भी खत्म होनी चाहिए। इससे पहले कई सैनिक इस बारे में शिकायत कर चुके हैं और कुछ तो वीडियो भी जारी कर चुके हैं। अब आपको ये भी बता देते हैं कि आखिर भारतीय सेना में ये सिस्टम आया कहां से ? दरअसल इस सिट्म को बडी सिस्टम कहा गया था। इस सिस्टम के तहत दो सैनिकों को युद्ध और शांतिकाल में भी एक साथ रखा जाता है। ऐसा इसलिए ताकि दोनों एक दूसरे के साथ तालमेल बिठा सकें और साथ में काम कर सकें। अपने ताजा फैसले में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने वो बात कही है जो रक्षा मामलों पर बनी संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने कही थी। स्टैंडिंग कमेटी का भी यही कहना था कि जवानों का काम देश की सेवा करना है, न कि अधिकारियों के परिवारों की सेवा।