देवभूमि लाई जाएंगी अटल जी की अस्थियां, पहाड़ की इन पवित्र नदियों में होगा विसर्जन
Aug 21 2018 12:14AM, Writer:आदिशा
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हमेशा से ही उत्तराखंड से विशेष लगाव था। खास बात ये भी थी कि उत्तराखंड को एक विशेष राज्य का दर्जा भी उन्होंने ही दिया था। मसूरी, श्रीनगर, छाम जैसी जगहों पर जनसभाएं कर चुके अटल जी को पहाड़ों से हमेशा ही प्यार रहा। उनकी कविताओं में हिमालय का जिक्र हमेशा से ही रहा। मसूरी से अटल जी को हमेशा से ही लगाव रहा और उन्होंने अपनी जिंदगी का कुछ वक्त यहां सुकून के साथ गुजारा था। अब बताया जा रहा है कि अटल जी की अस्थियां उत्तराखंड की प्रमुख नदियों में प्रवाहित की जाएंगी। बताया जा रहा है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट अस्थि कलश लेने के लिए दिल्ली जाएंगे। ये बात उन्होंने खुद ही बताई है। अब आपको बताते हैं कि पहाड़ कि किन किन नदियों में अटल जी की अस्थियां प्रवाहित होंगी।
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बताया जा रहा है कि अटल जी की अस्थियां देवप्रयाग में गंगा नदी में विसर्जित होंगी। इसके अलावा रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मदांकिनी के संगम स्थल पर भी अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा। इसके अलावा कर्णप्रयाग में पिंडर और अलकनंदा नदी के संगम स्थल पर भी अस्थि विसर्जन होगा। जाहिर सी बात है कि इस दौरान हजारों लोग मौजूद रहेंगे। इसी तरह से कुमाऊं मंडल की नदियों में भी अस्थि विसर्जन किया जाएगा। कुमाऊं मंडल में चित्रशिला, गौलाघाट और सरयू नदी में अटल जी की अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी। बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार की कुछ योजनाओं और प्रतिष्ठानों के नाम भी अटल जी ने नाम पर रखे जा सकते हैं। खबर है कि इस बारे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चर्चा भी हुई है। इस बारे में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट ने कुछ और भी बातें बताई हैं।
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मीडिया से बातचीत में अजय भट्ट का कहना है कि वो मंगलवार को अस्थि कलश लेने के लिए दिल्ली जा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रदेश लाखों लोग अस्थि विसर्जन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन रास्ते खराब होने की वजह से लोग हरिद्वार नहीं जा सके। इस वजह से गढ़वाल तथा कुमाऊं में कई और स्थानों पर अटलजी के अस्थि विसर्जन कराने का फैसला लिया गया है। गढ़वाल और कुमाऊं की पवित्र मानी जानी वाली प्रमुख नदियों और प्रयागों में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी। एक बार फिर से आपको बता दें कि अटल जी की अस्थियां देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग , चित्रशिला, गौलाघाट और सरयू नदी में प्रवाहित की जाएंगी। माना जा रहा है कि इस दौरान अलग अलग नदियों के तट और प्रयागों में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे।