image: vanshinarayan temple in uttarakhand

देवभूमि के भगवान वंशीनारायण, जहां साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं कपाट..जानिए क्यों?

Aug 28 2018 11:38AM, Writer:रश्मि पुनेठा

उत्तराखंड..कदम कदम पर देवों के आशीर्वाद की भूमि। प्रकृति की बेमिसाल खूबसूरती के बीच यहां के प्राचीन मंदिर देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध है। हर मंदिर का अपना इतिहास है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई ऐसा मंदिर है जिसके कपाट दर्शन के लिए साल में एक बार खुलते हैं। अगर नहीं सुना है तो आज जानिए ऐसे अनोखे और प्रचीन मंदिर के बारे में जो देवभूमि को और महान बना देता है। भगवान विष्णु का ये प्रचीन मंदिर उर्गम घाटी के सुदूर बुग्याल क्षेत्र में है। समुद्र तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित वंशीनारायण मंदिर के कपाट सालभर बंद रहते है और सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान नारायण को रक्षासूत्र बांधने से लोगों को मनोकामनाएं पूरी होती है। आइए इस बारे में आपको बताते हैं।

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इसी वजह से पिछले कई सालों से इस मंदिर के आसपास के गांवों की महिलाएं रक्षाबंधन के दिन यहां आकर भगवान नारायण को राखी बांधती है और अपने परिवार की कुशलता की कामना करती है। इस दिन किमाणा, डुमक, कलगोठ, जखोला, पल्ला और उर्गम घाटी की महिलाएं भगवान विष्णु को राखी बांधती हैं जबकि ग्रामीण उन्हें राखी भेंट करते हैं। इस रस्म के बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है। वंशीनारायण मंदिर के बारे में एक खास बात यह है कि कलगोठ गांव के जाख देवता के पुजारी ही यहां पूजा करते हैं। जितनी अनोखी इस मंदिर की परंपरा है उतना ही भव्य इसका इतिहास है। वंशीनारायण मंदिर में भगवान नारायण की चतुर्भुज मूर्ति है। मंदिर का निर्माण छठवीं सदी में राजा यशोधवल के समय किया गया था।

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मान्यता है कि देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने वामन रुप धारण कर दानवीर राजा बलि का घमंड चूर किया था। इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने बलि को अपने सामने रहने का वचन दिया। जिसके बाद पाताल लोक में भगवान नारायण राजा बलि के द्वारपाल बन गए। तब पति को मुक्त करने के लिए माता लक्ष्मी पाताल लोक जाकर राजा बलि के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भगवान विष्णु को द्वारपाल से मुक्त करने का वचन मांगती हैं। तब राजा बलि उन्हें द्वारपाल से मुक्त कर देते हैं। यह भी मान्यता है कि पाताल लोक से भगवान विष्णु इसी क्षेत्र में प्रकट हुए थे। जिसके बाद से यहां की महिलाएं रक्षाबंधन के दिन 12000 फीट की ऊंचाई में स्थित इस मंदिर में भगवान नारायण को रक्षासूत्र बांधती है।


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