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पहाड़ से शेफ बनकर इंग्लैंड गए थे इंद्रमणि बलूनी, आज पूरे रेस्टोरेंट के मालिक हैं..देखिए वीडियो

इंग्लैंड हो या फिर सऊदी, उत्तराखंड के हुनरमंद शेफ हर जगह छाए हुए हैं। उत्तराखंडी युवा देश की रक्षा करने के साथ ही लोगों के पेट भी भर रहे हैं...पढ़िए ये रिपोर्ट
Jul 15 2019 4:48PM, Writer:कोमल नेगी

बात जब उत्तराखंड की होती है तो अक्सर लोगों के जहन में ऐसे प्रदेश की छवि उभरती है, जहां के हर परिवार का सदस्य आर्मी में है। पर बात चाहे देश सेवा की हो या फिर लोगों का पेट भरने की, अपने पहाड़ के लोग हर मोर्चे पर सफल रहे हैं। उत्तराखंड के शेफ विदेशों में अपने हुनर की छाप छोड़ रहे हैं। दुनियाभर में इनके चर्चे हैं, और ऐसा हो भी क्यों ना, उत्तराखंड के लोग ईमानदार होते हैं, मेहनती होते हैं। अब उत्तराखंड के इंद्रमणि बलूनी को ही देख लीजिए, ये इंग्लैंड के बर्मिंघम में रेस्टोरेंट का संचालन करते हैं। एजबेस्टन शहर में स्थित इस रेस्टोरेंट का नाम है बकाबा, जहां इनके एक और साथी हैं जो कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं। हाल ही में बीबीसी हिंदी ने इंद्रमणि बलूनी और इनके रेस्टोरेंट पर एक रिपोर्ट तैयार की। यहां हम आपको वो वीडियो भी दिखा रहे हैं। चलिए अब थोड़ी बात इंद्रमणि बलूनी की भी कर लें। इंद्रमणि कहते हैं कि मैं शेफ तंदूरी स्पेशलिस्ट था। जब इंग्लैंड आया तो कई रेस्टोरेंट्स को स्टेबलिश कराने में मदद की। कुकिंग मेरा पैशन है और मैं यही करना चाहता था।

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इस वक्त इंद्रमणि बलूनी और उनके साथी एजबेस्टन में बकाबा रेस्टोरेंट का संचालन करते हैं, जो कि बहुत पॉप्युलर है। इंद्रमणि कहते हैं कि इंग्लैंड में सेटल होना उनके लिए आसान नहीं था। दो साल तक वो भारत को, अपने गांव-परिवार को याद करते रहे। खैर समय बीतने के साथ उन्होंने खुद को संभाला और यहीं कुछ बेहतर करने की ठानी। फिर लीज पर एक रेस्टोरेंट लिया और आज बकाबा अपने स्वादिष्ट खाने और अच्छी सर्विस के लिए जाना जाता है। इंद्रमणि बलूनी और उनके पहाड़ी साथी की मेहनत का ही नतीजा है कि उनके रेस्टोरेंट को दो बार द फूड अवॉर्ड इंग्लैंड मिल चुका है। साल 2017 में उन्हें द फूड अवॉर्ड इंग्लैंड मिला, इसके साथ ही साल 2018 में भी उनके रेस्टोरेंट ने द फूड अवॉर्ड इंग्लैंड जीता। पहाड़ के छोटे से गांव से निकल इंग्लैंड में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। इंद्रमणि कहते हैं कि जब मैं इंग्लैंड आया था तो मेरे पास तीन हजार रुपये यानि 28 से 30 पाउंड थे।

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वो आगे कहते हैं कि एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने मुझे 15 मिनट के लिए साइड में खड़ा कर दिया। उस वक्त मैं भीतर ही भीतर रो रहा था। क्योंकि इंग्लैंड आने के लिए मैंने हयात होटल की नौकरी छोड़ दी थी। मेरे पास वापस लौटने के लिए पैसे भी नहीं थे। पर धीरे-धीरे सब सही हो गया। इंद्रमणि के साथ एक और उत्तराखंडी साथी हैं, जो कि पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं। उनके रेस्टोरेंट में वेज-नॉनवेज हर तरह की डिशेज परोसी जाती हैं। जिन्हें विदेशी खूब चाव से खाते हैं। इंद्रमणि बलूनी जैसे लोग ही उत्तराखंड की असली पहचान हैं। जो भले ही विदेशों में रह रहे हैं, पर खुद को पहाड़ी बताने में शर्म या झिझक महसूस नहीं करते। पहाड़ के युवा ना सिर्फ देश की सरहद की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि लोगों का पेट भी भर रहे हैं। ऐसे लोगों को हमारा सलाम…
वीडियो साभार-बीबीसी हिन्दी

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