image: Snow Leopard footprints in Uttarkashi

उत्तराखंड में मौजूद है वो दुर्लभ जानवर, जिसे ढूंढ रहे हैं दुनियाभर के वैज्ञानिक..मिले पुख्ता सबूत

उत्तराखंड में पहली बार हिम तेंदुओं की गणना का काम शुरू हुआ है। इस दौरान विशेषज्ञों की टीम को दो रेंज में स्नो लेपर्ड की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं।
Dec 4 2020 3:56PM, Writer:Komal Negi

वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में दुर्लभ हिम तेंदुओं की तादाद बढ़ रही है। उत्तरकाशी जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं यानि स्नो लेपर्ड की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। पिछले दिनों जिले में स्थित पंडित गोविंद वल्लभ पंत वन्यजीव एवं राष्ट्रीय पार्क के विशेषज्ञों की टीम हिम तेंदुओं की गणना करने गई थी। इस दौरान टीम को पार्क की सांकरी और रूपिन रेंज में स्नो लेपर्ड की मौजूदगी के सबूत मिले। यहां स्नो लेपर्ड का मल और पंजों के निशान मिले। मल को सुरक्षित कर डीएनए टेस्ट के लिए देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान भेजा जा रहा है। टीम ने पंजों के निशान की तस्वीरें भी ली हैं। इससे पहले उत्तरकाशी की नेलांग वैली में भी हिम तेंदुओं की मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। यहां स्नो लेपर्ड को कई बार देखा गया। स्नो लेपर्ड की खूबसूरत तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाए रहे। भेड़पालक भी उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी के बारे में वन विभाग को कई बार जानकारी दे चुके हैं, लेकिन यहां कितने हिम तेंदुए हैं, इसे लेकर कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। हिम तेंदुओं की गिनती नहीं हो सकी थी। आगे पढिए

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ऐसे में उत्तराखंड में पहली बार हिम तेंदुओं की गिनती का काम शुरू किया गया है। 2 नवंबर से हिम तेंदुओं की गणना शुरू हो गई है। गणना करने वाली टीम में वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग के अलावा सिक्योर हिमालय एनजीओ और भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ शामिल हैं। हिम तेंदुओं को देखने का दावा करने वाले ग्रामीण भी टीम का हिस्सा हैं। सर्वे के दौरान टीम को हिमालयी रेंज में हिम तेंदुओं की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। भेड़पालक भी रूपिन, सूपिन और सांकरी रेंज में हिम तेंदुओं की मौजूदगी का दावा करते आए हैं। सर्वे के दौरान रूपिन रेंज के चांगसिल बुग्याल और हरकी दून के सांकरी रेंज में कई जगह हिम तेंदुओं का मल और पंजों के निशान मिले। गणना करने वाली टीमें तीन हजार मीटर से साढ़े पांच हजार मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों तक जाएंगी। पहले चरण के सर्वे का काम पूरा कर टीमें वापस आ गई हैं। कुछ दिन के बाद टीमें दोबारा रेंज में जाएंगी और सर्वे का काम करेंगी। हिम तेंदुओं की गणना का काम 25 दिसंबर तक चलेगा। अगले कुछ दिनों में सभी रेंजों की रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। वन अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में स्नो लेपर्ड की बढ़ती चहलकदमी जैव विविधता के लिहाज से अच्छा संकेत है। स्नो लेपर्ड दुर्लभ प्रजाति का जीव है। इसके संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।


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