उत्तराखंड: 4 महीने में ही क्यों गई तीरथ सिंह रावत की कुर्सी? जानिए इनसाइड स्टोरी
आखिर क्या वजह रही कि 4 महीने के भीतर ही त्यागना पड़ा तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद। क्या पहले से ही तय था तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा?
Jul 3 2021 2:19PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में कल रात सियासी गलियारों में तब हलचल मच गई जब उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत कल रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कई दिनों से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा था और आखिरकार कई दिनों से जारी सियासी अटकलों पर विराम लग चुका है और कल उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार की देर रात सवा ग्यारह बजे उन्होंने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपा।उत्तराखंड में यह अलग ही किस्म की राजनीति चल रही है। 4 महीने से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और मुख्यमंत्री पद की कमान तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई थी मगर दूसरे रावत जी तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 4 महीने भी नहीं टिक पाए। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की सीट से इस्तीफा क्यों दिया जबकि उपचुनावों को लेकर उन्होंने हाल ही में कुछ बड़े बयान दिए थे। चलिए आपके सारे डाउट्स क्लियर करते हैं और आपको मुख्यमंत्री के सीट के पीछे की पूरी कहानी से अवगत कराते हैं। तीरथ सिंह रावत ने बीती 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी मगर वे तो 4 महीने का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए। रावत जी के इस्तीफे की एक बड़ी वजह उपचुनाव रहे हैं। उनको 6 महीने से भीतर उपचुनाव जीतना था। गंगोत्री से उनका लड़ना तय भी हुआ था। मगर चुनाव आयोग ने 10 सितंबर से पहले उपचुनाव करने से मना कर दिया था जिसके बाद तीरथ सिंह रावत के सामने इस्तीफा देने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड को आज मिलेगा नया सीएम, पार्टी ने तय किया नाम..अब घोषणा का इंतजार
उनके सामने विधायक बनने का संवैधानिक संकट खड़ा हो गया जिसके बाद उन्होंने आखिरकार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने बताया कि 10 सितंबर तक विधानसभा सदस्य चुना जाना है मगर उपचुनाव ना होने की संभावना को देखते हुए उनके सामने यही एक विकल्प बचा था। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून की धारा 191 ए के तहत नियम यही कहता है और इसी के चलते उनको इस्तीफा देना पड़ा। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए आयोग उपचुनावों पर फैसला लेगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे में भले ही उपचुनाव एक बड़ी वजह रही हो मगर तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे का फैसला केंद्रीय नेतृत्व पहले ही ले चुका था। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर उत्तराखंड में कोई तेजतर्रार सीएम बनाने के ऊपर मंथन चल रहा है। केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही तय कर चुका था कि चुनावों में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री होने के बाद भी मुख्य चेहरा नहीं होंगे और उसके बाद तीरथ सिंह रावत के औरतों के ऊपर तीखे बयानों ने यह साफ कर दिया उनके रहते भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और आगामी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए पार्टी के लिए बेहतर यही होगा कि नेतृत्व बदल दिया जाए और किसी शक्तिशाली और प्रभावी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड का अगला सीएम कौन, लिस्ट में ये नाम शामिल
बता दें कि आज विधायक दल की बैठक बुलाई गई है और आज 3 बजे देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक में नया नेता चुना जाएगा। भाजपा इस समय भारी मुसीबत में आ रखी है। एक तरफ भाजपा मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर असमंजस में है और दूसरी तरफ पार्टी को अपनी छवि भी बचानी है। 56 विधायक होने के बावजूद भी भाजपा को 1 कार्यकाल में 2 मुख्यमंत्री बदलने पड़ रहे हैं जिससे भाजपा की छवि खराब हो रही है। विपक्ष भी जमकर भाजपा की छवि खराब करने में लगा है और पार्टी के ऊपर लगातार राजनैतिक अस्थिरता का आरोप लग रहा है। ऐसे में पार्टी को तेजतर्रार और प्रभारी नेता चुनने के साथ ही पार्टी की छवि भी बचानी है। आज 3 बजे तक उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की घोषणा कर दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत और सतपाल महाराज आगे हैं। मुख्यमंत्री कोई भी बने मगर यह तो तय है कि भाजपा आगामी चुनावों को लेकर बेहद चिंतित है और अपनी छवि बरकरार रखने के लिए भाजपा अगले मुख्यमंत्री की कमान किसी ऐसे नेता को सौंपेगी जो प्रभावी और तेजतर्रार होगा।