image: Govind Kunjwal gave job to his son and daughter-in-law

उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष का बयान: ‘मैंने दी बेटे-बहू को नौकरी, कुछ गलत नहीं किया’

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेटे और बहू को नौकरी पर लगाया, और ये स्वीकार करने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है।
Aug 29 2022 7:44PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में हुई गड़बड़ी सामने आने के बाद बवाल मचा है। पूर्व में हुई कई भर्तियों में भी धांधली के आरोप लग रहे हैं।

Govind Kunjwal speaks about his son and daughter-in-law job

उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के साथ गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई भर्तियों को लेकर भी निशाना साधा जा रहा है। इन दोनों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में नियुक्ति पाए लोगों की सूची इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। पूरे मामले पर अपना पक्ष रखते हुए पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने साफ कहा कि हां मैंने बेटे-बहू को नौकरी पर लगवाया। मेरा बेटा बेरोजगार था, मेरी बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े-लिखे थे। अगर डेढ़ सौ से अधिक लोगों में मैंने अपने परिवार के दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया। मेरे कार्यकाल में कुल 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई थी। इनमें से आठ पद पहले से खाली थे। 150 पदों की स्वीकृति मैंने तत्कालीन सरकार से ली थी। कुंजवाल ने साफ कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेटे और बहू को विधानसभा में उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी पर लगाया, और ये स्वीकार करने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है। आगे पढ़िए

गोविंद कुंजवाल ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी विधानसभा के 20 से 25 लोगों को नौकरी पर लगाया था। इसके अलावा तमाम लोग बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर रखे गए थे। कुंजवाल ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट गए थे, लेकिन हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को सही करार दिया। इसके बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए। वहां भी तमाम नियुक्तियों को सही ठहराया गया। बता दें कि संविधान में अनुच्छेद 187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है। गोविंद कुंजवाल ने कहा कि सोशल मीडिया पर बातें हो रही हैं कि मैंने अपने तमाम रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा, इस पर वह इतना ही कहना चाहते हैं कि हर कुंजवाल उनका रिश्तेदार नहीं है। उनके कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष को संविधान की ओर से प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ही नियुक्तियां की गई हैं। अगर इसमें कोई भ्रष्टाचार की बात सिद्ध कर सकता है तो वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।


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