शाबाश भुला: अखबार बेचकर पढ़ाई करता है गौतम, सुबह 3 बजे उठकर करता है सेना की तैयारी
जिस उम्र में ज्यादातर नौजवान भविष्य के रंगीन सपने देखने में बिजी होते हैं, उस उम्र में गौतम अपने सारे शौक मन के किसी कोने में दफ्न कर रोजी-रोटी का जुगाड़ करने में जुटा है।
Dec 30 2022 12:09AM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में ठंड पूरे शबाब पर है। चमोली जिले में कई इलाके ऐसे हैं, जहां तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है।
Story of Gauchar newspaper hawker gautam
ऐसी कड़ाके की ठंड में भी यहां रहने वाला एक 17 साल का लड़का आपको सुबह-सुबह लोगों के घरों में अखबार पहुंचाता नजर आ जाएगा। वही अखबार, जो शाम होते-होते रद्दी में चला जाता है, लेकिन इसे आप लोगों तक पहुंचाने के लिए जो लड़का ठंड के थपेड़ों से जूझता है, उसकी कहानी और संघर्ष दोनों आपको झकझोर कर रख देंगे। हम बात कर रहें हैं गौचर में रहने वाले गौतम की। जिस उम्र में ज्यादातर नौजवान भविष्य के रंगीन सपने देखने में बिजी होते हैं, उस उम्र में गौतम अपने सारे शौक मन के किसी कोने में दफ्न कर रोजी-रोटी का जुगाड़ करने में जुटा है। आखिर परिवार को भी तो पालना है। गौतम राजकीय इंटर कॉलेज में 12वीं का छात्र है। परिवार गौचर के पनाई गांव में रहता है। माता-पिता समेत परिवार में चार लोग हैं। पिताजी बेरोजगार हैं और बड़ी बहन बीमार रहती है। ऐसे में घर चलाने की जिम्मेदारी गौतम पर आ गई। घर के खर्च को उठाने के लिए गौतम ने अखबार बेचना शुरू किया और वह गौचर के तमाम स्थानों में दौड़-दौड़ कर अखबार का वितरण करता है। आगे पढ़िए
गौतम सुबह 3 बजे उठकर पहले पढ़ाई करता है। बाद में अग्निवीर भर्ती के लिए दौड़ लगाने जाता है। घड़ी में 5 बजकर 30 मिनट होते ही वो दुकान के लिए निकल जाता है और दौड़ते हुए शहर भर में अखबार बांटता है। सचमुच, गौतम के जज्बे को सैल्यूट करने का मन करता है। ऐसी कड़ाके की ठंड में जब हम में से ज्यादातर लोग घरों में दुबके रहते हैं। पहाड़ का ये नौजवान अपना भविष्य संवारने के लिए शहर की ठंडी सड़कों पर दौड़ लगाता है, साथ में अखबार भी बांटता है, ताकि परिवार का लालन-पालन कर सके। मेहनती गौतम अग्निवीर बनकर देश की सेवा करना चाहता है। बता दें कि साल की शुरुआत में एक ऐसी ही खबर नोएडा से भी आई थी। यहां फौजी बनने के लिए देर रात 12 बजे शहर की सड़कों पर उड़ान भरते उत्तराखंड के प्रदीप मेहरा का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। जिसके बाद तमाम संस्थान प्रदीप की मदद के लिए आगे आए थे।