image: Pulwama Attack 2019 remembering Uttarakhand Martyr

याद करो कुर्बानी: आज के दिन हुए पुलवामा अटैक में उत्तराखंड के 4 सपूतों ने दी थी शहादत, पढ़ें वीरता की कहानी

पुलवामा अटैक में शहीद होने वालों में देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट, शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल और मोहनलाल रतूड़ी के साथ ही ऊधमसिंहनगर के वीरेंद्र सिंह भी शामिल थे।
Feb 14 2024 10:00AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

फरवरी साल 2019...ये दिन देश को गहरा जख्म दे गया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में साल 2019 में हुए आतंकी हमले में देश ने अपने 44 जवानों को खो दिया था, जिनमें उत्तराखंड के भी 2 सपूत शामिल थे।

Remembering Pulwama Martyrs

इसके बाद हुए एनकाउंटर अटैक में देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट और मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले की घटना को सालों बीत गए, लोगों की जिंदगी आगे बढ़ गई, लेकिन जिन परिवारों के सिर से रहनुमा का साया उठा था, वो अब भी दर्द में हैं। आइये आज पुलवामा में शहीद होने वाले वीर सपूतों को याद करें और उन्हें श्रधांजलि दें...

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट

Martyr Major Chitresh Bisht
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मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं। क्योंकि मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च 2019 को होनी थी इसलिए शादी के कार्ड भी बंट चुके थे। इससे पहले दून का यह लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। मेजर चित्रेश को मरणोपरांत सेना मेडल (गैलेंट्री) मिला जो कि सेना दिवस पर सेना प्रमुख से उनके पिता ने प्राप्त किया था। शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे।

शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल

Martyr Major Vibhuti Dhoundiyal
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पुलवामा में आतंकी हमले के बाद चले सर्च ऑपरेशन में 18 फरवरी को देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हुए थे। अपनी शादी की पहली सालगिरह पर उन्होंने घर आने का वादा किया था, लेकिन घर उनका तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आया। वर्तमान में विभूति के घर में मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन हैं। उनकी पत्नी सेना में भर्ती हो चुकी हैं।

शहीद मोहनलाल रतूड़ी

Martyr Mohanlal Raturi
3 /

शहीद मोहन लाल रतूड़ी मूलरूप से उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के रहने वाले थे। वो साल 1988 में सीआरपीएफ का हिस्सा बने थे। मोहनलाल के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी ने बताया कि पिता हमेशा देश की रक्षा को लेकर उनसे बातें करते थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र हो या फिर जम्मू के आतंकी क्षेत्र, इनके कई किस्से मोहनलाल ने बच्चों को सुनाए थे। 27 दिसंबर 2018 को मोहनलाल एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे, लेकिन उस वक्त किसे पता था कि मोहनलाल अब कभी जिंदा नहीं लौट सकेंगे। उन्होंने फोन पर जल्द ही घर आने की बात कही थी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका।

शहीद वीरेंद्र सिंह

Martyr Virendra Singh
4 /

ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के जवान वीरेंद्र सिंह भी पुलवामा में हुए आत्मयघाती हमले में शहीद हुए थे। वीरेंद्र सिंह के दो बच्चे हैं, जिनके सिर से असमय ही पिता का साया उठ गया। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई जय राम सिंह व राजेश राणा हैं। जयराम सिंह बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं, जबकि राजेश राणा घर में खेती बाड़ी का काम देखते हैं।


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