देहरादून: 16 वर्षीय भतीजे से 5 बच्चों की बुआ ने बनाए शारीरिक संबंध, कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा
विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) अर्चना सागर की अदालत ने 16 साल के भतीजे से यौन संबंध बनाने की आरोपित सौतेली बुआ को दोषी ठहराया और उन्हें 20 साल की कारावास की सजा सुनाई।
Apr 17 2024 5:20PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
घटना को लेकर पांच जुलाई 2022 को 16 वर्षीय बालक की मां ने बसंत विहार थाने में केस दर्ज कराया। कि उनकी ननद ने 16 वर्षीय सौतेले भतीजे से यौन संबंध बनाए और कुछ दिन पहले वह भतीजे को साथ लेकर लापता हो गई थी।
Mother of 5 children had physical relations court sentenced 20 years
राजधानी देहरादून से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने रिश्तों को शर्मशार कर दिया है। यहाँ पर एक नाबालिक की माँ ने बसंत विहार थाने में केस दर्ज कराया था कि उसकी ननद पति से लड़ाई-झगड़ा करके छह महीने से मायके में रह रही है । इसी दौरान उनकी ननद ने 16 वर्षीय सौतेले भतीजे से यौन संबंध बनाए। उसके बाद ननद भतीजे को बहला-फुसलाकर भगा ले गई और वापस लौटी तो ननद गर्भवती थी। पुलिस ने मामले का मुकदमा दर्ज कर आरोपी बुआ को 9 जुलाई 2022 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
महिला है छह बच्चों की मां
शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा के अनुसार दोषी महिला के अपने पति से 5 बच्चे थे। पति से अनबन के कारण वह मायके में आकर रहने लगी। मायके में उसका दिल भताजे पर आ गया और उसका इश्क परवान चढ़ने लगा, इस बीच संबंधों का दायरा टूट गया और यौन संबंध स्थापित हो गया। फिर भतीजे से संबंध बनाए तो उसने छठवीं संतान के रूप में बच्ची को जन्म दिया।
डीएनए रिपोर्ट से हुआ खुलासा
कोर्ट के ट्रायल के दौरान बालक ने अपने बयान में दोषी ठहराई गई बुआ का पक्ष लिया। उसने कहा कि घटना के समय वह 18 साल का था। उसके परिवारजनों ने स्कूल में दाखिला कराते समय उम्र को दो साल कम दर्ज किया था। उसने दोषी महिला पर जोर जबरदस्ती से सम्बन्ध बनाने से भी इनकार किया। उसने कहा कि परिवारजन बुआ को घर में नहीं रखना चाहते थे। इसलिए यह केस दर्ज किया गया। मुख्य पीड़ित के आरोपों को नकारने के बावजूद, कोर्ट ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला सुनाया। उसके शैक्षिक दस्तावेजों में घटना के समय की उम्र 16 वर्ष बताई गई।
बालकों के संरक्षण का भी है कानून
शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा ने बताया कि पॉक्सो में बालिकाओं की तरह बालकों के संरक्षण का कानून भी बनाया गया है। अधिवक्ता सौरभ दुसेजा ने बताया कि अगर महिला नाबालिग बालक को अपनी यौनिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए उत्पीड़ित करती है, तो उसे बालक पर लैंगिक हमला माना जाएगा।