image: Land Mafia Captured Forest Department Land Worth Billion

Uttarakhand: वन विभाग की 10 अरब की जमीन पर भू-माफिया का खेल, अब 100 रुपए के स्टांप पर बेच रहा प्लॉट

यहाँ वन विभाग की 10 अरब की भूमि पर वन माफियाओं ने कब्ज़ा कर लिया है और वे इसे स्टांप पेपर के जरिये बेच रहे हैं, जाँच में यह भी मामला सामने आया है कि किस प्रकार से यह जमीन बेची गई।
Jul 18 2024 5:01PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

तहसील क्षेत्र में दमुवाढूंगा के बागजाला में 10 अरब की वन भूमि में कब्जा हो चुका है। यहाँ पर स्टांप पेपर पर जमीन बेची रही है रामनगर में वन भूमि की बिक्री और खरीद के मामले पर शासन ने एसआईटी जांच की आदेश दिए हैं।

Land Mafia Captured Forest Department Land Worth Billion in Haldwani

हल्द्वानी तहसील क्षेत्र में दमुवाढूंगा के बागजाला में भू-माफियाओं का 10 अरब की वन भूमि में कब्जा हो चुका है। यहां तक कि अभी भी जमीन स्टांप पेपर में बेची जा रही है। दूसरी तरफ बनभूलपुरा मामले की जांच में सामने आया है कि कैसे स्टांप पेपर में बगीचे की जमीन बेच दी गई है। पुलिस की जांच से साबित हुआ है कि मलिक ने करीब 30 करोड़ से अधिक की भूमि खुर्द बुर्द की है। दमुवाढूंगा में वर्तमान में विभाग की जमीन को 100 रुपये के स्टांप पेपर में बेचा जा रहा है। यहां तक कि जमीन माफिया अब पहाड़ खोदकर मिट्टी बेच रहे हैं और उसे समतल कर रहे हैं, फिर इसे स्टांप पेपर में बेच रहे हैं। दमुवाढूंगा में कई एकड़ जमीन स्टांप पेपर में बिकी हुई हैं, लेकिन इसमें अभी तक कोई मकान नहीं बना है। इस जमीन पर लोगों ने घेराबाड़ी करना शुरू कर दिया है।

एक अरब की जमीन पर हो सकता है अतिक्रमण

यहाँ तक की नालों की जमीन पर भी अब कब्जा हो रहा है, यहां एसआईटी जांच की आवश्यकता है। बागजाला भी इसी स्थिति में है यहाँ पर वन भूमि पर भी कब्जा हो रहा है। यहां वन विभाग मूकदर्शक बना है और बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों ने भूमि खरीदी है। इससे क्षेत्र की जनसंख्या में भी परिवर्तन आ रहा है। वन विभाग ने तीन महीने पहले कार्रवाई की जिसमें कुछ मकानों को तोड़ा गया, लेकिन इसके बाद इस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। प्रशासन के अनुसार बागजाला में करीब बाजार मूल्य के हिसाब से एक अरब की जमीन पर अतिक्रमणकारियों को कब्जा होने की संभावना है।

मलिक ने किया 30 करोड़ के स्टांप का गबन

बनभूलपुरा भूमि के मामले में हुआ खुलासा सब देखा है। नगर निगम द्वारा दाखिल मुकदमे में यह स्पष्ट हो गया है कि मलिक, उसकी पत्नी और उसके बेटे ने किस तरह बगीचे की जमीन को 50 से 100 रुपये के स्टांप पर बेचा। जांच में यह भी पता चला है कि मलिक ने 30 करोड़ रुपये की जमीन का गबन किया है। यह चौंकाने वाला है कि मृत व्यक्ति के नाम पर फर्जी स्टांप बनाए गए, जबकि मुकदमे में जिनका नाम है उनकी दो महीने पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। उन्हें यह नहीं पता चला कि उनके नाम पर फर्जी हस्ताक्षर करके जमीन हासिल की गई। अदालत में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, यदि इन स्थानों की जांच की जाती है तो करोड़ों रुपये की जमीन पर अवैध कब्जा मिल सकता है। अब यह देखना है कि सरकार इन जमीनों पर एसआईटी जांच कराने का कदम उठाएगी या नहीं।


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