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उत्तराखंड में पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना लागू, 5 करोड़ तक के निवेश में रियायत देगी सरकार

पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए सरकार ने एक नई योजना का आगाज़ किया है। इस पहल के तहत राज्य के स्थायी निवासियों को पर्यटन से संबंधित उद्यमों में निवेश करने पर विशेष वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
Oct 15 2024 1:43PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

इस योजना का लक्ष्य राज्य में होम स्टे, होटल, रिजॉर्ट और अन्य पर्यटन संबंधी उद्यमों को मजबूत करना है। इसके माध्यम से स्थानीय निवासियों को नए रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करेंगे, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएंगे।

Tourism Entrepreneur Promotion Scheme implemented in Uttarakhand

उत्तराखंड में बढ़ते पर्यटन के मद्देनजर सरकार अब पर्यटन सुविधाओं के विकास पर ध्यान दे रही है। इसका उद्देश्य स्थानीय समुदाय को लाभ पहुंचाते हुए पर्यटन गतिविधियों में उनकी भागीदारी बढ़ाना है। इस दिशा में राज्य के स्थायी निवासियों के लिए उत्तराखंड पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना के तहत वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है, जिससे होम स्टे और छोटे पर्यटन उद्यम तेजी से विकसित होंगे। इन परियोजनाओं में 33 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक के अनुदान की सुविधा है, जबकि उच्च श्रेणी के हास्पिटेलिटी प्रोजेक्ट के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा पांच करोड़ रुपये तय की गई है। सरकार का उद्देश्य यह है कि इससे देश-विदेश से अधिक निवेश आकर्षित किया जा सके।

एक से पांच करोड़ रुपये तक के निवेश को प्रोत्साहन

हालांकि स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना लागू है, लेकिन इस योजना के तहत केवल एक करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट को ही मान्यता दी जाती है। धामी कैबिनेट ने राज्य के स्थायी उद्यमियों के लिए उत्तराखंड पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें एक से पांच करोड़ रुपये तक के निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। योजना के लागू होने की अधिसूचना जारी कर दी गई है और इसमें वित्तीय प्रोत्साहन को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इस पहल से विभिन्न गतिविधियों को चिह्नित किया गया है, जिससे राज्य के स्थायी निवासियों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों के सृजन की उम्मीद जताई जा रही है।

योजना में क्षेत्रों का वर्गीकरण

श्रेणी-ए: इस श्रेणी में हरिद्वार, नैनीताल, और ऊधम सिंह नगर जिलों का पूरा क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा, देहरादून जिले के वे क्षेत्र जो श्रेणी-बी में नहीं आते, और अल्मोड़ा जिले की रानीखेत व अल्मोड़ा तहसील भी इसमें सम्मिलित हैं।
श्रेणी-बी: अल्मोड़ा जिले का वह भाग जो श्रेणी-ए में नहीं है, देहरादून जिले की कालसी, चकराता, और त्यूणी तहसील, बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील, पौड़ी जिले की कोटद्वार, लैंसडौन, यमकेश्वर, और धुमाकोट तहसील, और टिहरी जिले की धनोल्टी व नरेंद्रनगर तहसील इस श्रेणी में आते हैं।
श्रेणी-सी: इस श्रेणी में उत्तरकाशी, चमोली, चंपावत, रुद्रप्रयाग, और पिथौरागढ़ जिलों का पूरा क्षेत्र शामिल है, साथ ही बागेश्वर, पौड़ी, और टिहरी जिलों का शेष क्षेत्र जो श्रेणी-बी में नहीं आता।

योजना के तहत मिलने वाली रियायतें

स्टांप ड्यूटी से छूट: एक से पांच करोड़ तक के प्रोजेक्ट पर स्टांप ड्यूटी में छूट मिलेगी।
श्रेणी-ए के लिए अनुदान: इस श्रेणी के क्षेत्र में 33 लाख से 80 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा।
श्रेणी-बी के लिए अनुदान: इस श्रेणी में अनुदान राशि 33 लाख से 1.20 करोड़ रुपये होगी।
श्रेणी-सी के लिए अनुदान: इस श्रेणी में 33 लाख से 1.50 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।
ब्याज अनुदान: योजना के अंतर्गत तीन साल तक प्रति इकाई 3% से 6% तक ब्याज अनुदान प्राप्त होगा।


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