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मिथक तोड़ 'अजेय' बने अजय भट्ट, हरीश रावत को एक लाख वोटों से दी पटखनी

अजय भट्ट आज बड़ी राहत महसूस कर रहे होंगे...उनकी जीत ने साबित कर दिया कि वो पार्टी के लिए ‘मनहूस’ नहीं हैं।
May 23 2019 7:05PM, Writer:कपिल

पूरे देश में बीजेपी की जीत का जश्न मन रहा है और उत्तराखंड के तो कहने ही क्या...कांग्रेस नेता जहां गली-मोहल्लों में भी ढूंढे नहीं मिल रहे तो वहीं बीजेपी के विजयी प्रत्याशियों के होंठों पर मुस्कान खिली हुई है। इस लोकसभा चुनाव में मिली जीत बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इस जीत के साथ ही उनसे जुड़ा वो मिथक भी टूट गया, जिसके अनुसार अजय भट्ट की जीत को उनकी पार्टी के लिए हमेशा दुर्भाग्यशाली माना जाता रहा। हमें पूरा यकीन है कि आज अजय भट्ट काफी राहत महसूस कर रहे होंगे। दरअसल अजय भट्ट जब भी खुद चुनाव जीते हैं, तब-तब उनकी पार्टी सत्ता से बाहर रही है। वहीं जब अजय भट्ट चुनाव हारे, तब उनकी पार्टी ने सत्ता हासिल की है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास कह रहा है। इस बार भी बीजेपी ने प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया है। नैनीताल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट ने एक लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की।

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अजय भट्ट की जीत के साथ ही वो मिथक भी टूट गया, जिसके अनुसार माना जाता था कि अगर भट्ट जीते तो केंद्र या राज्य में पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा। इस बार अजय भट्ट भी अजेय रहे साथ ही बीजेपी भी विजय रही। चलिए अब आपको अजय भट्ट से जुड़े मिथक के बारे में बताते हैं.. इस मिथक की शुरुआत हुई साल 2002 में। उस वक्त राज्य में हुए पहले विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट ने रानीखेत विधानसभा से जीत दर्ज कराई, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी। सत्ता मिली कांग्रेस को। फिर साल 2007 में एक बार फिर अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा से चुनाव लड़े, पर इस बार वो हार गए। अजय भट्ट तो हार गए, लेकिन बीजेपी को बहुमत मिला और वो प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा से फिर चुनाव जीत गए, लेकिन बीजेपी प्रदेश में सरकार नहीं बना पाई। सरकार बनी कांग्रेस की। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट हार गए थे, लेकिन उनकी पार्टी ने प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की। सालों से ये मिथक अजय भट्ट से जोंक की तरह चिपका रहा। इस बार अजय भट्ट का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा था, उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत थे, लेकिन भाग्य ने अजय भट्ट का साथ दिया और वो बड़े अंतर से हरीश रावत को हराने में कामयाब रहे।


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