पहाड़ में दर्द से चीखती-चिल्लाती रही गर्भवती, आधा बच्चा आया बाहर तब पहुंचे डॉक्टर
विक्टर मोहन जोशी अस्पताल में भर्ती प्रसूता दर्द से तड़पती रही लेकिन डॉक्टर और नर्स ने उसकी सुध नहीं ली, स्वास्थ्यकर्मियों की इस लापरवाही से महिला-शिशु की जान जा सकती थी...
Nov 21 2019 4:37PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली जच्चा और बच्चा की जान पर भारी पड़ रही है। गांवों में सुरक्षित प्रसव आज भी एक एक बड़ी चुनौती है। प्रसूताओं को समय पर इलाज नहीं मिलता, जिस वजह से बच्चे और मां की जान पर बन आती है। कई मामलों में तो मां-बच्चे की जान तक चली जाती है। इसकी एक अहम वजह डॉक्टरों की लापरवाही भी है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, उस पर डॉक्टरों की लापरवाही कोढ़ में खाज जैसे हालात पैदा कर रही है। अब अल्मोड़ा में ही देख लें, जहां महिला अस्पताल में प्रसूता दर्द से कराहती रही, पर डॉक्टर ड्यूटी के वक्त कहीं गायब हो गए। प्रसव कक्ष में महिला तड़पती रही पर ना तो डॉक्टर आए, ना ही नर्स। महिला के परिजन जब हंगामा करने लगे, तब कहीं जाकर डॉक्टरों ने महिला की सुध ली। मामला अल्मोड़ा के विक्टर मोहन जोशी महिला अस्पताल का है, जहां हीरा देवी नाम की महिला को परिजन प्रसव के लिए लेकर आए थे।
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महिला कठपुडियाछीना बागेश्वर की रहने वाली है।अस्पताल पहुंचने पर महिला को प्रसव वार्ड में भर्ती कराया गया। महिला के परिजनों का आरोप है कि प्रसूता को एडमिट तो कर लिया गया, पर डॉक्टरों ने उसकी सुध नहीं ली। प्रसव कक्ष में ना तो डॉक्टर थे और ना ही नर्स। परिजनों ने ये भी कहा कि जब तक डॉक्टर मौके पर पहुंचे तब तक शिशु गर्भ से आधा बाहर आ गया था। ऐसी हालत में महिला और बच्चे की जान जा सकती थी। परिजनों के हंगामा करने के बाद कहीं जाकर डॉक्टर मौके पर पहुंचे और महिला का इलाज किया। वहीं अस्पताल के प्रभारी सीएमएस ने परिजनों के आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि डिलीवरी के वक्त डॉक्टर मौके पर मौजूद थे, महिला भी इसकी पुष्टि कर सकती है। वहीं पीड़ित महिला ने भी अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है।