पहाड़ की बहादुर किरण..नदी के तेज उफान में बह रही थी मां, बेटी ने तैरकर मरने से बचाया
चमोली जिले की किरण (chamoli district kiran) की जितनी तारीफ करें उतनी कम...यूं समझ लीजिए कि इस बेटी ने बेटी शब्द को सार्थक किया है। पढ़िए पूरी खबर
Jun 8 2020 10:51AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
वो डरी नहीं, घबराई नहीं और नदी की तेज लहरों के बीच से अपनी मां की जिंदगी को वापस खींच लाई। यू समझ लीजिए कि मां के सामने साक्षात यमराज खड़े थे और वो बेटी अपनी मां को यमराज से भी छीन लाई। ये तस्वीर है उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन की। एक बेटी ने अपनी मां को नदी के उफान के बीच बहने से बचा लिया। आखिर क्यों ना इस बेटी को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाए? इस बेटी का नाम है किरण जो अपनी मां की जिंदगी में जीवन की किरण लेकर आई है। चमोली जिले की किरण के चर्चे आज सोशल मीडिया पर हर तरफ है। वजह क्या है यह भी जान लीजिए। दरअसल जोशीमठ के तपोवन में रहने वाली श्रीमती रामकली देवी अपनी बेटी किरण के साथ धौलीगंगा के आस-पास चारा लेने गई थी। अचानक रामकली देवी का पैर फिसल गया और वो नदी में गिर गई। आगे पढ़िए
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नदी का उफान बहुत तेज था और रामकली देवी नदी में बहने लगी। लेकिन दाद देनी होगी उसकी हिम्मती बेटी किरण की.. जो उस उफान के बीच नदी में कूद गई और तैर कर अपनी मां को जैसे-तैसे किनारे पर ले आई। वो यहीं नहीं रुकी इसके बाद मदद के लिए चिल्लाने लगी, जोर-जोर से आवाजें लगाने लगी। इस बीच जल विद्युत परियोजना के पर्यावरण मित्र वहां पर कुछ काम कर रहे थे। उन्होंने मां और बेटी को सड़क तक पहुंचाया और तुरंत ही पुलिस प्रशासन को इस बात की सूचना दी। पुलिस प्रशासन ने रामकली देवी को प्राथमिक इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। शुक्र की बात है कि रामकली देवी एकदम ठीक है। एक बेटी ने आज एक धर्म निभाया है। यह पुत्री का धर्म है जिसकी प्रशंसा आज हर जगह हो रही है। गाहे-बगाहे हम बेटियों पर अत्याचार की खबरें सुनते हैं। लेकिन यह देवभूमि उत्तराखंड है जहां बेटियों का सम्मान बेटों से ज्यादा है। देवभूमि की बहादुर बेटी किरण को हमारा सलाम