उत्तराखंड: प्रसव के दौरान मां और नवजात की मौत, मातम में बदली गरीब परिवार की खुशियां
उत्तराखंड के चंपावत में रहने वाली सीता प्रेग्नेंट थी। माता-पिता घर में नन्हें मेहमान के स्वागत की तैयारी कर रहे थे, लेकिन किसे पता था कि आने वाली खुशियों को गरीबी की नजर लग जाएगी।
Aug 7 2020 8:51PM, Writer:Komal Negi
परिवार में बच्चे का आगमन खुशियों की दस्तक माना जाता है। किसी मां के लिए ये पल उसके जीवन का सबसे अनमोल पल होता है, पर पहाड़ में ये खुशी हासिल करने के लिए महिलाओं को जिस दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है, उसे देख कलेजा कांप उठता है। कहीं अस्पताल नहीं हैं, तो कहीं अस्पताल ले जाने में गरीबी आड़े आ जाती है। नतीजा, जच्चा और बच्चा दोनों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। चंपावत में रहने वाली 28 साल की सीता के साथ भी यही हुआ। सीता प्रेग्नेंट थी। माता-पिता घर में नन्हें मेहमान के स्वागत की तैयारियां कर रहे थे, लेकिन किसे पता था कि आने वाली खुशियों को गरीबी की नजर लग जाएगी। दुर्भाग्य से यही हुआ। जागरण की खबर के मुताबिक परिजन गरीबी के कारण प्रसूता को अस्पताल नहीं ले जा सके। गुरुवार को सीता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो परिजनों ने घर में एक नर्स को बुलाकर प्रसव कराया। घर में प्रसव के दौरान जोखिम बना रहता है। सीता और उसके बच्चे को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी। प्रसव के दौरान नवजात की मौत हो गई। आगे पढ़िए
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सीता को अत्यधिक रक्तस्त्राव हो रहा था। तब महिला के परिजन उसे खटीमा के एक निजी अस्पताल ले गए। जहां इलाज के दौरान महिला ने भी दम तोड़ दिया। 28 साल की सीता अपने पति विनोद विश्वकर्मा के साथ टनकपुर के अंबेडकर नगर के वार्ड नंबर 3 में रहती थी। सीता का परिवार बेहद गरीब है। वार्ड सभासद रईस अहमद ने बताया कि सीता और विनोद की तीन संतानें हैं। चौथी संतान को जन्म देते वक्त सीता की मौत हो गई। गरीबी की वजह से परिजन उसे अस्पताल नहीं ले जा सके और उन्होंने प्रसव के लिए नर्स को घर पर ही बुला लिया। प्रसव के दौरान बच्चे की मौत हो गई। बाद में अत्यधिक रक्तस्त्राव से महिला ने भी दम तोड़ दिया। सीता की मौत के बाद मासूम बच्चों की चीत्कार सुन लोगों का दिल भर आया। परिजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। महिला की मौत से क्षेत्र में मातम पसरा है।