उत्तराखंड: प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी से गुस्साए DM सविन, 5 दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट
हल्द्वानी में निजी चिकित्सालयों द्वारा की जा रही मनमानी और लापरवाही के खिलाफ डीएम सविन बंसल ने संज्ञान लिया है।
Sep 12 2020 9:47PM, Writer:Komal Negi
हल्द्वानी में निजी चिकित्सालयों की मनमानी और उनके द्वारा दिखाई जा रही असंवेदनशीलता के खिलाफ जिलाधिकारी सविन बंसल अब एक्शन ले रहे हैं। निजी चिकित्सालयों में गंभीर रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को बिना कोरोना जांच किए हुए उपचार प्रदान नहीं किया जा रहा है। जैसे ही यह मामला जिलाधिकारी सविन बंसल की नजर में आया उन्होंने इसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की। बता दें कि हल्द्वानी में निजी चिकित्सालयों की लापरवाही और संवेदनहीनता सिर चढ़ कर बोल रही है और उनकी मनमानी की वजह से उपचार न मिलने के कारण 3 मरीजों की मृत्यु हो गई है। तीनों मरीजों के मृत्यु की जांच अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित टीम के द्वारा करवाई जा रही है। और इसके साथ में जिलाधिकारी बंसल ने निजी चिकित्सालयों द्वारा गंभीर रोगियों का इलाज न करने के मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी एवं नगर मजिस्ट्रेट हल्द्वानी से ऐसे अस्पतालों के खिलाफ की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी 5 दिन के अंदर-अंदर मांगी है।
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जिलाधिकारी का कहना है कि निजी चिकित्सालय द्वारा मरीजों के उपचार में ऐसी लापरवाही और असंवेदनशीलता काफी घातक है और इसी के साथ यह जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था की छवि को काफी खराब कर रहा है। निजी अस्पतालों द्वारा गंभीर रोगियों को बिना कोविड की रिपोर्ट दिखाए हुए उपचार प्रदान नहीं किया जा रहा है। रोगियों से उपचार के पूर्व कोविड रिपोर्ट मांगी जा रहा है इसकी वजह से हल्द्वानी में 3 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। बता दें कि हल्द्वानी के तमाम निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों और टेक्नीशियनों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अप्रैल माह में कोविड-19 की ट्रेनिंग दी गई थी और सभी निजी चिकित्सालयों के अधिकारियों द्वारा यह प्रमाण पत्र भी दिया गया था कि उनका चिकित्सालय कोविड की जांच में पूरी तरीके से सक्षम है और अगर कोई व्यक्ति में एमरजेंसी में उनके अस्पताल में आता है तो मरीज का कोरोना वायरस सैंपल चिकित्सालय में ही लिया जाएगा और चिकित्सालय में आइसोलेशन वॉर्ड की भी स्थापना की जाएगी मगर इसके बावजूद भी निजी चिकित्सालय अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं और गंभीर रोगियों के उपचार में वे संवेदनहीनता रवैया अपना रहे हैं और लापरवाही में उनकी मृत्यु हो रही है जो कि बेहद गंभीर है।
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उन्होंने बताया कि निजी चिकित्सालयों के ऊपर कड़ी नजर रखना मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जिम्मेदारी है और उनकी मनमानी के खिलाफ एक्ट करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। ऐसे में जिलाधिकारी ने यह कहा है कि उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नगर मजिस्ट्रेट का स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की लापरवाही और संवेदनहीनता का संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नगर मजिस्ट्रेट ने निजी चिकित्सालयों के खिलाफ अभी तक क्या कार्यवाही की है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 उत्तराखंड एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19 रेगुलेशन 2020 एवं आईपीसी की धाराओं के अधीन उनके स्तर पर निजी अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ अभी क्या एक्शन लिया गया है? उन्होंने इस बात की भी रिपोर्ट मांगी है कि निजी चिकित्सालयों द्वारा गंभीर रोगियों के उपचार में की गई सभी लापरवाही जिससे उनकी मृत्यु हुई है और जनहानि भी हुई है उसके खिलाफ संज्ञान लेते हुए कार्यवाही क्यों नहीं की गई है? अगर निजी चिकित्सालय से उनको कोविड सैंपलिंग निजी लैब से कराने एवं आइसोलेशन वार्ड हेतु प्रमाण पत्र और शपथ पत्र मिले हैं तो सभी रिपोर्ट्स के साथ उसको 5 दिन के भीतर भीतर प्रस्तुत करने को भी कहा है।