image: Saksham Rautela became an international master of the mountain

पहाड़ के सक्षम रौतेला ने रचा इतिहास, उत्तर भारत के पहले इंटरनेशनल मास्टर बने..बधाई दें

जिस उम्र में ज्यादातर बच्चे मोबाइल और ऑनलाइन गेमिंग में डूबे रहते हैं, उस उम्र में सक्षम ने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) का खिताब हासिल कर इतिहास रच दिया।
Oct 16 2020 2:55PM, Writer:Komal Negi

शह और मात के खेल शतरंज में अपने धैर्य से प्रतिद्वंद्वी को चित करने वाले शतरंज खिलाड़ी सक्षम रौतेला ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बागेश्वर जिले के रहने वाले सक्षम रौतेला को विश्व शतरंज संस्था फीडे ने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) के खिताब से नवाजा है। सक्षम यह खिताब पाने वाले प्रदेश के पहले खिलाड़ी हैं। उत्तराखंड का ये होनहार शतरंज खिलाड़ी अभी सिर्फ 16 साल का है। जिस उम्र में ज्यादातर बच्चे मोबाइल और ऑनलाइन गेमिंग में डूबे रहते हैं, उस उम्र में सक्षम ने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) का खिताब हासिल कर इतिहास रच दिया। इसी के साथ सक्षम देश के चुनिंदा 125 आईएम में शामिल हो गए हैं। वर्तमान में उनकी फीडे रेटिंग 2480 है।

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सक्षम की उपलब्धियों की बात की जाए तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे। फीडे से इंटरनेशनल मास्टर का खिताब पाने वाले सक्षम देश के टॉप 50 शतरंज खिलाड़ियों में शामिल हैं। वो सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के भी एकमात्र आईएम हैं। चलिए अब आपको सक्षम के यहां तक पहुंचने के सफर के बारे में बताते हैं। सक्षम ने दिसंबर 2019 में आईएम का पहला नॉर्म पूरा किया। जनवरी में उन्होंने दूसरा नार्म पूरा किया। इसी साल बोस्निया शहर के बिल्येनिया में हुई आईएम प्रतियोगिता में उन्हें 7.5 अंक मिले थे। इसके साथ ही उन्होंने तीसरा पड़ाव भी पार कर लिया। बीते आठ अक्टूबर को फीडे ने उन्हें आईएम के खिताब से नवाजा।

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ऑल इंडिया चेस फेडरेशन (एआईसीएफ) की आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में भारत में 66 ग्रैंड मास्टर और 125 इंटरनेशनल मास्टर हैं। जिनमें सक्षम रौतेला भी शामिल हैं। आईएम बनने के लिए किसी भी खिलाड़ी को 2400 से ज्यादा की रेटिंग और तीन आईएम नार्म पूरे करने होते हैं। सक्षम की सफलता से पूरे उत्तराखंड में हर्ष का माहौल है। लोग उनके घर पर बधाई देने पहुंच रहे हैं। सक्षम रौतेला बागेश्वर के कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल में 12वीं पढ़ते हैं। उन्होंने साल 2012-13 में शतरंज खेलना शुरू किया था। साल 2019 में उन्होंने हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा देने के साथ ही आईएम टाइटल के लिए भी जी तोड़ मेहनत की। पढ़ाई के साथ शतरंज की प्रैक्टिस जारी रखी। जिसका परिणाम उन्हें आईएम के रूप में मिला। बेटे का करियर बनाने के लिए उनके माता-पिता भी बागेश्वर छोड़कर दिल्ली में शिफ्ट हो गए हैं। सक्षम कहते हैं कि उनका अगला लक्ष्य ग्रैंड मास्टर(जीएम) बनना है। 16 साल के सक्षम अपने शतरंज करियर के दौरान कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीत चुके हैं।


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