गश्त पर निकले DSP को भिखारी ने दी आवाज..पास जाने पर निकला अपने बैच का शार्प शूटर
डीएसपी गश्त पर थे, तभी एक भिखारी ने उन्हें आवाज दी। डीएसपी भिखारी के करीब पहुंचे तो उसका चेहरा ध्यान से देखने पर चौंक गए। आगे पढ़िए पूरी खबर
Nov 15 2020 1:43PM, Writer:Komal Negi
मध्य प्रदेश का खूबसूरत शहर ग्वालियर। यहां कभी शॉर्प शूटर और पुलिस विभाग में अफसर रह चुका एक शख्स भिखारी के तौर पर कूड़ा बीनते मिला। ये कहानी फिल्मी जरूर लगती है, लेकिन दुर्भाग्य से सच है। जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं, उनका नाम है मनीष मिश्रा। ये कभी पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर हुआ करते थे। उनकी गिनती अचूक निशानेबाजों और ईमानदार अफसरों में हुआ करती थी, लेकिन भाग्य के खेल ने आज उन्हें सड़कों पर दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया है। एसआई रहे मनीष मिश्रा के मिलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
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10 नवंबर की रात ग्वालियर के डीएसपी रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया गश्त पर निकले थे। इसी दौरान किसी ने उनका नाम पुकारा। डीएसपी चौंक कर पीछे मुड़े तो देखा कि एक भिखारी उनके पास खड़ा है। डीएसपी रत्नेश ने करीब जाकर गौर से देखा तो वो भिखारी उनका बैचमेट एसआई मनीष मिश्रा निकला। जो कि मानसिक संतुलन खोने की वजह से इस हाल में पहुंच गया था। मनीष के परिवार वाले ऊंचे ओहदों पर कार्यरत हैं। चलिए अब आपको मनीष मिश्रा के बारे में बताते हैं, और उनकी ये हालत क्यों और कैसे हुई इस बारे में भी बताएंगे। मनीष साल 1999 बैच के सब इंस्पेक्टर रहे हैं
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साल 2005 तक मनीष नौकरी में रहे। वो आखिर समय तक दतिया जिले में पोस्टेड थे। इसके बाद उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। बाद में वो 5 साल तक घर में ही रहे, फिर घर से निकल गए। इलाज के लिए उन्हें जिन भी सेंटरों में भेजा गया, मनीष वहां से भी भाग गए। मनीष की मानसिक स्थिति की वजह से उनका पत्नी से भी तलाक हो चुका है। उनकी पत्नी न्यायिक सेवा में अधिकारी हैं। पिता और चाचा एएसपी पद से रिटायर हुए हैं। परिवार को भी नहीं पता था कि मनीष कहां हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है एमपी पुलिस का एक अधिकारी सालों तक मानसिक बीमारी से जूझता रहा, लेकिन ना तो विभाग ने उनकी सुध ली, और ना ही परिवार ने। 10 नवंबर को जब उन्होंने अचानक डीएसपी को आवाज दी, तब ये मामला खुला। बहरहाल मनीष को सामाजिक संस्था के आश्रय स्थल स्वर्ग सदन भिजवाया गया है, जहां उनकी देखभाल की जा रही है।