उत्तराखंड: अब बेटियों का भी होगा पैतृक संपत्ति में मालिकाना हक..कैबिनेट मीटिंग में बड़ा फैसला
उत्तराखंड में अब बालिग बेटियां भी संपत्ति में मालिकाना हक पाएंगी। उन्हें पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। राज्य सरकार के इस फैसले से प्रदेश की 37 लाख बालिग बेटियां लाभान्वित होंगी।
Nov 19 2020 2:53PM, Writer:Komal Negi
दिवाली के ठीक बाद उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की महिलाओं को ऐसा शानदार तोहफा दिया है, जिसकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। उत्तराखंड में अब बालिग बेटियां भी संपत्ति में मालिकाना हक पाएंगी। उन्हें पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। राजस्व रिकॉर्ड में उनका भी नाम दर्ज होगा। बुधवार को उत्तराखंड कैबिनेट की मीटिंग हुई। जिसमें राज्य की सभी बालिग महिलाओं को भूमि का मालिकाना हक देने का नीतिगत फैसला लिया गया है। कैबिनेट ने एक कमेटी भी बनाई है। जो भूमि के खातों में महिलाओं को खातेदार बनाने संबंधी प्रक्रिया पूरी करने के विषय में अपने सुझाव देगी। मुख्य सचिव को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। कमेटी में अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री), सचिव राजस्व और सचिव न्याय को शामिल किया गया है।
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राज्य सरकार के इस फैसले से प्रदेश की 37 लाख बालिग बेटियां लाभान्वित होंगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी महिलाओं को संपत्ति में मालिकाना हक देने संबंधी फैसले पर विचार करेगी। अगली कैबिनेट मीटिंग में कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस तरह जमीन-संपत्ति में महिलाओं को मालिकाना हक देने को लेकर सैद्धांतिक निर्णय ले लिया गया है। अब कमेटी अपने सुझाव देगी। जिस पर विचार कर अगली बैठक में जरूरी निर्णय लिया जाएगा। राज्य सरकार के इस फैसले से महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की राह खुलेगी। पहाड़ की बेटियां भी अपने भाईयों की तरह पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। राज्य सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम महिलाओं को सशक्त बनाएगा। उन्हें समानता के अधिकार के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा। आगे पढ़िए
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जो महिलाएं अपने रोजगार के लिए बैंक से लोन लेना चाहती हैं, वो अपने नाम पर दर्ज संपत्ति पर स्वरोजगार के लिए आसानी से लोन ले सकेंगी। इस तरह लोन के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की कई परेशानियां दूर हो जाएंगी। बता दें कि इससे पहले भी राज्य सरकार महिलाओं के हित में कई बड़े ऐलान कर चुकी है। सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी गई है। जमीन की खरीद-फरोख्त में स्टांप शुल्क में 1.25 प्रतिशत छूट का प्रावधान है। महिला स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख रुपये तक बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है। पंचायतों में 50 प्रतिशत और नगर निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई है। अब राज्य सरकार ने जमीन पर महिलाओं को मालिकाना हक देकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है।