चमोली में आई जलप्रलय पर अमेरिकी वैज्ञानिकों का खुलासा..इस वजह से मची तबाही
अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि चमोली की नीती घाटी में आई भयावह प्राकृतिक आपदा भूस्खलन के साथ ही लाखों टन बर्फ के नीचे खिसकने का दुष्परिणाम है। Chamoli Disaster: American scientists research about chamoli apda
Feb 10 2021 1:04PM, Writer:Komal Negi
चमोली में हुई जलप्रलय ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। यहां ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद विशेषज्ञों ने सरकार को एक बार फिर जलवायु खतरों को लेकर आगाह किया है। हर कोई प्रकृति का रौद्ररूप देखकर सहमा हुआ है, साथ ही आपदा की वजह क्या है, ये भी हर शख्स जानना चाहता है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस घटना का अध्ययन कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि चमोली की नीती घाटी में आई भयावह प्राकृतिक आपदा भूस्खलन के साथ ही लाखों टन बर्फ के नीचे खिसकने का दुष्परिणाम है। ये बात अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन ने कही। जो कि अमेरिकी वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित संस्था है। संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक जहां प्राकृतिक आपदा आई, वहां 5600 मीटर की ऊंचाई से पहाड़ की हजारों टन वजनी बड़ी-बड़ी चट्टानें व लाखों टन बर्फ सीधे 3800 मीटर तक नीचे जा गिरीं।
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भारी चट्टानों और लाखों टन बर्फ के तेजी से नीचे गिरने की वजह से भयानक आपदा आई और जनहानि के साथ ही करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ। अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों टन वजनी चट्टानों और लाखों टन बर्फ के सीधे दो किलोमीटर तक लगातार नीचे गिरने की वजह से इलाके का तापमान तेजी से बहुत अधिक बढ़ गया और इस तापमान के चलते बर्फ तेजी से पिघल गई। जलप्रलय के पीछे यही वजह है। वैज्ञानिकों ने चमोली में आपदा के तुरंत बाद चलाए गए रेस्क्यू अभियान के लिए केंद्र और राज्य सरकार की सराहना भी की। वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के तमाम दुष्प्रभाव दिख रहे हैं, आने वाले वक्त में चमोली जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेंगी। इनसे निपटने के लिए दुनिया के सभी देशों को सतर्क रहना होगा। भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने को लेकर अधिक से अधिक मॉनीटरिंग करने की जरूरत होगी।