पिथौरागढ़ में ग्लेशियर टूट कर सड़क पर गिरा, कई गांवों समेत सुरक्षा एजेंसियों का संपर्क कटा
पिथौरागढ़: भारत-चीन बॉर्डर पर ग्लेशियर से हिमखंड टूट कर सड़क पर गिरा, कई गांवों का संपर्क टूटा, आवाजाही ठप
Mar 9 2022 3:24PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। पिथौरागढ़ में भारत-चीन बॉर्डर पर ग्लेशियर से हिमखंड टूटकर सड़क पर गिर गया है। ग्लेशियर के सड़क पर टूटकर गिरने से कई गांव का सड़क संपर्क कट गया है। इससे न केवल स्थानीय गांव के लोगों की बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं।
Glacier Burst at India-China Border in Pithoragarh
दरअसल उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कई दिनों से भारी बर्फबारी हो रही है। भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियर से हिमखंड के सड़क पर आ जाने से अफरा-तफरी मची हुई है। बता दें कि पिथौरागढ़ में इस बार पिछले तीन दशकों में सबसे ज्यादा हिमपात हुआ है। हादसे के बाद से क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है और ग्रामीणों के सामने एक बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है। दरअसल उच्च हिमालय गांवों को जोड़ने वाली प्रमुख धारचूला दारमा सड़क पर बुगलिंग और उर्थिंग के बीच घंगमनाती में 800 फीट से अधिक लंबा हिमखंड ग्लेशियर से टूटकर आ गिरा है जिससे इस क्षेत्र के कई गांवों एवं सुरक्षा एजेंसियों का देश के अन्य हिस्सों से संपर्क पूरी तरह कट चुका है। बता दें कि इस सड़क में पहले भी कई जगह पर बर्फ जमा है ऐसे में यहां पर पूरी तरह से आवाजाही ठप हो गई है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है और गर्मी का मौसम शुरू होते ही दारमा घाटी के उच्च हिमालय गांवों में 3000 से अधिक लोग माइग्रेशन के लिए जाते हैं। इस समय माइग्रेशन काल शुरू होने से पहले ही यहां पर गंभीर हादसा हो गया है जिस वजह से लोग उच्च हिमालय गांव में नहीं जा पा रहे हैं। दरअसल माइग्रेशन काल शुरू होने से पहले ही लोग वहां जाकर भोजन इंधन एवं अन्य प्रबंध करते हैं और रास्ता बंद होने के कारण प्रवासियों को भी दिक्कत हो रही है। इसी के साथ 300 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को भी मुसीबत झेलनी पड़ रही है और उनका संपर्क भी कट चुका है। दारमा सड़क के बंद रहने से नाराज ग्रामीणों ने प्रशासन को अनशन की धमकी दी है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस सड़क को यातायात और आवाजाही के लिए सुचारू नहीं किया गया तो वे आमरण अनशन के लिए मजबूर होंगे।
दारमा होमस्टे एसोसिएशन ने भी कहा है कि अगर समय पर सड़क नहीं खुलेगी तो वे भी ग्रामीणों के साथ अनशन का हिस्सा बनेंगे। बता दें कि शीतकाल प्रवास के समय भी दारमा सड़क के बंद रहने से ग्रामीणों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था और ग्रामीणों को बारिश में भूस्खलन के खतरों के बीच में जुलाई से अक्टूबर तक आवागमन करना पड़ा था। धारचूला के होमस्टे एसोसिएशन के अध्यक्ष जयेंद्र फिरमाल का कहना है कि यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है। तो वहीं धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला का कहना है कि सभी बंद रास्तों को तत्परता से खोले जाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। यह मार्ग 6 महीने बर्फबारी से बंद रहता है। अब ग्रीष्मकालीन माईग्रेशन के लिए बंद रास्तों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है।