उत्तराखंड की स्पेस साइंटिस्ट प्राची बिष्ट को बधाई, चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में रहा विशेष योगदान
बचपन से आकाश छूने का सपना देखने वाली प्राची ने साल 2019 में इसरो को ज्वाइन किया, और चंद्रयान-3 अभियान का हिस्सा बनीं।
Aug 25 2023 7:02PM, Writer:कोमल नेगी
भारत ने चंद्रयान-3 के मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस प्रोजेक्ट में उत्तराखंड के कई होनहारों का विशेष योगदान रहा है।
prachi bisht in mission chandrayaan 3 team
हल्द्वानी की रहने वाली स्पेस साइंटिस्ट प्राची बिष्ट इनमें से एक हैं। बचपन से आकाश छूने का सपना देखने वाली प्राची ने साल 2019 में इसरो को ज्वाइन किया, और चंद्रयान-3 अभियान का हिस्सा बनीं। मिशन को सफल बनाने में प्राची की कंट्रोल यूनिट का अहम योगदान रहा है। प्राची का परिवार गौलापार के गोविंदपुर गांव में रहता है। उनके पिता खड़क सिंह भारतीय नौ सेना से रिटायर्ड हैं, जबकि माता तुलसी बिष्ट गृहणी हैं। पिता क्योंकि नौसेना में रहे, इसलिए प्राची ने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई केरला में की। उसके बाद 2011 में उनका परिवार हल्द्वानी आ गया। यहां उन्होंने सेंट थेरेसा स्कूल से इंटर किया और जेईईई की तैयारी शुरू कर दी। जेईईई एडवांस में क्वालिफाई कर प्राची ने तिरुअनंतपुरम के आईआईएसटी में एडमिशन पाया। आगे पढ़िए
जहां उन्होंने स्पेस साइंटिस्ट बनने के लिए पढ़ाई पूरी की। सितंबर 2019 में प्राची की इसरो के बंगलौर स्थित केंद्र में नियुक्ति हुई। तब से वह मिशन चंद्रयान-3 के लिए काम कर रही हैं। उनकी टीम ने चंद्रयान को कंट्रोल करने का भी काम किया। पिता खड़क सिंह बिष्ट बेटी की सफलता से गर्वित हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार सुबह बेटी से बात हुई तो उसकी आवाज से ही खुशी जाहिर हो रही थी। प्राची ने सबसे पहले मुझसे कहा- पापा हमने कर दिखाया, इसरो फैमिली कामयाब हुई, यह हमारे देश व इसरो फैमिली के लिए बहुच बड़ा अचीवमेंट है। सफल लैंडिंग के बाद प्राची की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। साइंटिस्ट प्राची की ही तरह पौड़ी गढ़वाल के साइंटिस्ट दंपति दीपक अग्रवाल और उनकी पत्नी पायल अग्रवाल का भी मिशन चंद्रयान-3 को सफल बनाने में अहम योगदान रहा है।