image: Uttarakhand Chholiya Jhoda Dance World Book of Records

गौरवशाली पल: उत्तराखंड के छोलिया और झोड़ा नृतकों ने बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड, पढ़िए ये गुड न्यूज

उत्तराखण्ड के छोलिया और झौडा लोक नृतकों की ढोल दमाऊँ लोक वाद्यों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।
Oct 16 2023 7:37PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 12 अक्टूबर को देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर उत्तराखण्ड के छोलिया और झौडा लोक नृतकों की ढोल दमाऊँ लोक वाद्यों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।

Uttarakhand Chholiya Jhoda Dance World Records

यह जानकारी देते हुये निदेशक संस्कृति विभाग द्वारा बताया गया है कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में समुद्र तल से 5338 फीट (1627) मीटर की आश्चर्यजनक ऊँचाई पर एक अनोखा और ऐतिहासिक कार्यक्रम संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित किया गया। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहला कार्यक्रम था जिसमें जनपद पिथौरागढ़ के सुदूरवर्ती अंचलों से छोलिया एवं झौड़ा नृत्यक दल के लगभग 3000 लोक कलाकारों द्वारा अपनी पारम्परिक वेश-भूषा एवं लोक गीतों के माध्यम से विश्व का ध्यान उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक एवं समृद्धशाली लोक सांस्कृतिक विरासत की ओर आकर्षित किया हिमालय के हृदय सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में एक असाधारण एवं अभूतपूर्व घटना दुनिया को देखने को मिली। उन्होंने कहा कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ सुदूरवर्ती अंचलों से लगभग 3000 की संख्या में पहुँचे छोलिया एवं झौड़ा नृत्य दलों के लोक कलाकार अपनी पारम्परिक परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर प्रतिभाग करने पहुँचे। आगे पढ़िए

इस दौरान लोक गीतों एवं पारम्परिक लोक वाद्यों की धुनों से पूरा पिथौरागढ़ क्षेत्र गुज्यमान हो उठा उत्तराखण्ड की समृद्ध लोक सांस्कृतिक विरासत को देखकर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाव विभोर हो गये। जनपद पिथौरागढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं शान्त वातावरण के लिये ख्यतिलब्ध है। यहाँ हिमालय की ऊँचे-ऊचें हिम शिखर एक सजग पहरी के भाँति अडिग रहते हैं वहीं यह सीमान्त जनपद उत्तराखण्ड की छोलिया एवं झौड़ा लोक नृतक का सबसे बड़ा जमावड़े का केन्द्र रहा। उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक वाद्यों जैसे तुन, रणसिंघा, नागफनी, छोलिया ढाई व तलवार जैसे अन्य लोक वाद्य यन्त्रों ने पूरी घाटी को सुशोभित कर दिया। लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन कर लोगों को मन्त्रमुग्ध कर दिया हिमालय पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में आयोजित इस वृहद उत्सव ने इसे वास्तव में एक उल्लेखनीय और पहले कभी न देखा गया दृष्य बना दिया। इस कार्यक्रम में सीमान्त क्षेत्र की पारम्परिक एवं ऐतिहासिक लोक सांस्कृतिक विरासत की अदम्य भावना का प्रदर्शन किया गया लोक कलाकार अपनी पारम्परिक परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर प्रतिभाग करने पहुँचे तथा इस दौरान लोक गीत एवं पारम्परिक लोक वाद्यों की धुनों से पूरा पिथौरागढ़ क्षेत्र गुज्यमान हो उठा।


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