उत्तराखंड: शहीद कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत शौर्य चक्र, पढ़िए गढ़वाल के वीर जवान की शौर्य गाथा
कैप्टन दीपक सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने साथी को सुरक्षित पीछे किया और खुद आगे बढ़कर आतंकवादी को मुंहतोड़ जवाब दिया...
May 23 2025 8:05PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
14 अगस्त 2024 को जम्मू कश्मीर में शहीद कैप्टन दीपक सिंह को उनके अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन दीपक सिंह अदम्य साहस का अप्रतिम परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
Martyr Captain Deepak Singh awarded Shaurya Chakra posthumously
आपको बता दें कि अगस्त 2024 में जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के अस्सर के शिवगढ़ धार क्षेत्र में आतंकियों के छुपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी। जिसके आधार पर इस क्षेत्र में कैप्टन दीपक सिंह के नेतृत्व में दो दलों को तैनात किया गया। सुरक्षा दलों की लगातार निगरानी के बाद शाम करीब साढ़े 7 बजे के क्षेत्र में आतंकियों की गतिविधि देखी गई। जिसके बाद कैप्टन दीपक ने अपनी टुकड़ी को संगठित कर आतंकियों की घेराबंदी शुरू की। इसके तहत जवानों ने निशाना लगाकर एक आतंकी को घायल कर दिया। अंधेरा होने और आतंकियों के चट्टान के पीछे छिपे होने की वजह से काफी चुनौती पेश आई, लेकिन कैप्टन अपनी टुकड़ी के साथ पूरी रात डटे रहे।
जान की परवाह किए बिना लड़ता रहा जवान
कैप्टन दीपक सिंह ने अगले दिन सैन्य दल के साथ क्षेत्र में खोज अभियान शुरू किया। इस अभियान के दौरान एम 4 असॉल्ट राइफल के साथ गोला-बारूद बरामद हुआ। तभी चट्टान के पीछे छिपे हुए घायल आतंकवादी ने फायरिंग शुरू कर दी। कैप्टन दीपक सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने साथी को सुरक्षित पीछे किया और खुद आगे बढ़कर आतंकवादी को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया। काफी समय तक आमने-सामने गोलीबारी होने बाद कैप्टन दीपक सिंह घायल हो गए। सैन्य टुकड़ी ने कैप्टन दीपक सिंह को आर्मी हॉस्पिटल पहुँचाया, लेकिन तब तक वे हो चुके थे।
उत्तराखंड पुलिस से सेवानिवृत्त हैं पिता
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर शहीद कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके माता चंपा सिंह और पिता महेश सिंह ने ग्रहण किया। कैप्टन दीपक सिंह कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स की 48 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। 14 अगस्त 2024 को शहीद होने के समय उनकी उम्र केवल 25 वर्ष थी। वे देहरादून के कुआं वाला के निवासी थे। शहीद के पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जो निरीक्षक और पुलिस मुख्यालय में रह चुके हैं। कैप्टन दीपक सिंह अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।