इतिहास रचने को तैयार देवभूमि के विष्णु सेमवाल, मिल चुका है भारत गौरव सम्मान
पहाड़ के युआओं में सब कुछ करने का माद्दा है। एक बार फिर से विष्णु सेमवाल तैयार हैं और इस बार तो वो कुछ बड़ा करने जा रहे हैं।
Sep 14 2018 5:58PM, Writer:रश्मि पुनेठा
इस अद्भुत शिवलिंग जिसकी परिक्रमा में एक दो मिनट नहीं बल्कि 15 दिन का समय लगता है। भगवान शिव का ये शिवलिंग एक हिमशिखर है। प्रकृति के खुबसूरत नजारों के बीच स्थित इस हिमशिखर के दर्शन करना मानो स्वर्ग की अनुभूति के बीच भोलेनाथ के दर्शन करने के समान है। अब इस शिवलिंग हिमशिखर को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की कवायद की जा रही है। गर्व की बात है कि उत्तरकाशी के लदाड़ी गाँव के रहने वाले विष्णु सेमवाल द्वारा इस मिशन की शुरुआत की जा रही है। विष्णु पहाड़ के वो शख्स हैं, जिन्हें भारत गौरव सम्मान मिल चुका है। विष्णु बताते हैं कि गंगोत्री हिमालय में स्थित इस हिमशिखर की परिक्रमा गोमुख से तपोवन होते हुए की जाएगी। तपोवन के बाएं छोर से शुरू होकर ये परिक्रमा कीर्ति, मेरू और गंगोत्री ग्लेशियर से होते हुए तपोवन के दाहिने छोर पर समाप्त होगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 12 से 15 दिन लगेंगे।
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ये रास्ता समुद्र सतह से करीब 5500 मीटर ऊंचाई से होकर गुजरेगा। बता दें कि साल 2009 में एवरेस्ट पर सफल आरोहण करने वाले विष्णु सेमवाल लंबे समय से पर्वतारोहण से जुड़े हैं। विष्णु सेमवाल अब हिमालय की शिवलिंग चोटी की परिक्रमा करने का लक्ष्य बना रहे है। जिसके लिए वो इस ट्रैक का निरीक्षण करने के साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को प्रस्ताव भी दे चुके हैं। विष्णु के मुताबिक कैलाश-मानसरोवर की तर्ज पर 6543 मीटर ऊंची विश्व प्रसिद्ध शिवलिंग चोटी की परिक्रमा भी आसानी से की जा सकती है और वो इसकी प्लानिंग पिछले पांच साल कर रहे हैं। इस परिक्रमा में करीब 15 दिन का वक्त लगेगा। विष्णु सेमवाल का कहना है कि उन्हें बचपन से ही पहाड़ों से लगाव रहा है। शायद इसी वजह से महज 14 साल की उम्र में वो अपने भाई के साथ हिमालय के ट्रेक पर निकल गए थे।
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विष्णु पिछले 21 सालों में वो 25 से ज्यादा बार हिमालय की चोटियों पर झंडा फहराकर देवभूमि उत्तराखंड का नाम रोशन कर चुके हैं। साल 2011 में विष्णु 16 विदेशी पर्यटकों के साथ दुनियां के सबसे मुश्किल ट्रैक कालिंदी पास में फंस गये थे और मौसम खराब होने के कारण उन्हें 10 दिन तक वहीँ रहना पड़ा था, लेकिन उनके धैर्य औऱ हिम्मत की वजह से 10 दिन बाद वो सभी को सुरक्षित वापस ले आये थे। इससे पहले साल 2010 में भी विष्णु सेमवाल ने हिमालय में फंसे 8 पर्यटकों को खोज निकाला था और फिर उन्हें सुरक्षित बाहर भी निकाल लाये थे। उनकी इसी बहादुरी का नतीजा था जो तब उन्हें “भारत गौरव” अवार्ड भी दिया गया था। विष्णु ने 50 तक ऐसी चोटियों पर भी चड़ाई कर चुके हैं जिनका अब तक नामकरण भी नहीं हुआ है। अब एक बार फिर प्रदेश अपने इस लाल से उम्मीद कर रहा है कि वो एक बार फिर कामयाबी हासिल कर राज्य का नाम रोशन करें।