image: 7 YEAR IMPRISIONMENT AFTER 39 YEARS OF CRIME IN DEHRADUN

उत्तराखंड: जानलेवा हमले के दोषी को 39 साल बाद मिली सजा..67 की उम्र में 7 साल की जेल

जिस वक्त सुरेश ने क्राइम किया उस वक्त उसकी उम्र 28 साल थी...उसे लगा था कि पहचान बदल कर वो कानून के शिकंजे से बच जाएगा...जानिए पूरी कहानी
Apr 24 2019 12:40PM, Writer:आदिशा

कहते हैं कि अपराधी चाहे कितना ही शातिर क्यों ना हो एक ना एक दिन कानून के शिकंजे में फंसता जरूर है...दुनिया में परफेक्ट क्राइम जैसी कोई चीज नहीं होती...जानलेवा हमले के आरोपी देहरादून के रहने वाले सुरेश को भी ऐसा ही लगा था कि वो पहचान बदल लेगा तो कानून के शिकंजे से बच जाएगा। उनसे सोचा था पुलिस उस तक कभी नहीं पहुंच पाएगी...नाम और पहचान बदल कर वो हिमाचल में ही रहने लगा था, झूठ बोलकर वहीं की एक भोली-भाली महिला से शादी भी कर ली, लेकिन देर से ही सही सुरेश अब कानून के शिकंजे में है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शंकर राज की अदालत ने वर्ष 1980 में हुए जानलेवा हमले के मामले के दोषी सुरेश को 39 साल बाद सजा सुनाई। जिस वक्त सुरेश ने अपराध किया था, उस वक्त वो 28 साल का था अब सुरेश की उम्र 67 साल है। ये घटना भी बड़ी हैरान कर देने वाली है। आप भी आगे पढ़िए और जानिए

उम्र के जिस पड़ाव में उसे अपनों के सहारे और देखभाल की जरूरत थी, वो वक्त उसे अब जेल में गुजारना पड़ेगा। घटना 21 सितंबर 1980 की है। पीड़ित छोटेलाल देहरादून के नालापानी इलाके में अमरूद के बाग की रखवाली करता था, इसी दौरान आरोपी सुरेश सिंह ने उससे बाग की रखवाली का काम छोड़ने को कहा, छोटेलाल ने ऐसा करने से इनकार किया तो सुरेश ने उस पर गोली चला दी और वहां से भाग गया। छोटेलाल के भतीजे ने सुरेश को भागते देख लिया था, वो तो शुक्र है कि छोटेलाल को समय पर उपचार मिल गया, जिससे उसकी जान बच गई। अगले दिन राजपुर थाने में अभियोग पंजीकृत किया गया। तब पुलिस ने सुरेश को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इसी बीच उसे जमानत मिल गई। वर्ष 1985 तक सुरेश अदालत में पेशी पर भी आता रहा, इसके बाद वो अचानक गायब हो गया। आगे जानिए कि वो कैसे गिरफ्त में आया।

छोटेलाल 33 साल तक हिमाचल के कांगड़ा में छिपा रहा। उसने वहां सूरज बहादुर निवासी वार्ड नंबर तीन पुराना बाजार, तहसील ज्वालामुखी चकबन कालीधर ज्वालामुखी-दो कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के नाम पहचान पत्र बनवा लिया। सूमा देवी नाम की महिला से शादी भी कर ली, लेकिन उसे अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ नहीं बताया। पुलिस भी मानने लगी थी कि सुरेश की शायद मौत हो गई है, लेकिन पिछले साल जब वो सितंबर में पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री करने आया, तब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया, जहां कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई। सुरेश पर अदालत ने 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसे अदा न करने पर तीन वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।


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