धन्य है देवभूमि का ये सपूत, IMA में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल से सम्मानित हुआ
कैडेट धीरज गुणवंत ने एसीसी की ग्रेजुएशन सेरेमनी में छह में से तीन मेडल अपने नाम किए, जानिए इनकी कहानी...
Dec 1 2019 5:25PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। सेना को अफसर और जवान देने के मामले में उत्तराखंड का कोई सानी नहीं। बात जब देश की सुरक्षा की आती है तो यहां के सपूत हमेशा आगे रहते हैं। भारतीय सेना का हर पांचवा जवान उत्तराखंड से ताल्लुक रखता है। आईएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अफसर भी इसी मिट्टी से पैदा हुआ है। आईएमए में हुई एसीसी की ग्रेजुएशन सेरेमनी में भी उत्तराखंड के लाल छाए रहे। सैन्य अफसर बनने की तरफ कदम बढ़ाने वाले 58 युवाओं में से 5 कैडेट उत्तराखंड से हैं। यही नहीं कैडेट धीरज गुणवंत ने तो कमाल ही कर दिया। धीरज गुणवंत ने छह में से तीन पदक अपने नाम किए हैं। धीरज गुणवंत काशीपुर के रहने वाले हैं। एसीसी की ग्रेजुएशन सेरेमनी आईएमए में हुई, जहां उत्तराखंड की समृद्ध सैन्य विरासत की झलक देखने को मिली। इस मौके पर होनहार कैडेट्स को मेडल देकर सम्मानित किया गया। काशीपुर के रहने वाले धीरज गुणवंत ने छह में से तीन मेडल जीते। धीरज को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल मिला। साथ ही विज्ञान और सर्विस सब्जेक्ट में उन्हें कमांडेंट सिल्वर मेडल से नवाजा गया।
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काशीपुर के छोटे से कस्बे से निकल कर आईएमए तक का सफर तय कर पाना धीरज के लिए आसान नहीं था। उनके पिता देवेंद्र गुणवंत काशीपुर में जनरल स्टोर चलाते हैं। बड़ा भाई प्रवीण इंजीनियर है। धीरज अपने परिवार के पहले सदस्य हैं, जो कि सेना में अफसर बनने जा रहे हैं। वो हमेशा से ही सेना में अफसर बनना चाहते थे। उनकी स्कूलिंग अल्मोड़ा में हुई। साल 2010 में वो सेना में बतौर एयरमैन भर्ती हुए, पर अपनी मेहनत के दम पर वो जल्द ही अफसर बनने वाले हैं। अगले साल आईएमए से अफसर बनने वाले कैडेट्स में धीरज भी शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले कैडेट राहुल वर्मा को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सिल्वर मेडल मिला है। राहुल ने तीन बार एनडीए की परीक्षा दी पर सफल नहीं हो पाए। टेक्निकल एंट्री स्कीम के तहत भी सेना में भर्ती होने की कोशिश पर असफलता हाथ लगी। इसके बावजूद राहुल ने हिम्मत नहीं हारी। साल 2013 में वो एयर फोर्स में भर्ती हो गए और अब सेना में अफसर बनने वाले हैं।