पहाड़ के पुष्कर का बेमिसाल हुनर, कंडाली और भांग से बनाए डिजायनर कपड़े..शानदार कमाई
पुष्कर दिल्ली में फैशन डिजायनर थे, पर पहाड़ में रहने के लिए उन्होंने शहर छोड़ दिया, आज पुष्कर कंडाली-भांग के रेशे से कपड़े तैयार करते हैं...
Dec 7 2019 7:07PM, Writer:कोमल नेगी
कंडाली और भांग...ये दोनों ही पौधे पहाड़ में बहुत बदनाम हैं। कंडाली खरपतवार की तरह हर जगह फैली नजर आती है। भांग नशे के लिए बदनाम है, पर चमोली में कंडाली और भांग के रेशे का ऐसा बढ़िया इस्तेमाल हो रहा है, कि आप भी इस पहल की तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे। चमोली में कंडाली और भांग के रेशे से कपड़े तैयार हो रहे हैं। इस कपड़े से जैकेट और मफलर बनते हैं, जिनकी बाजार में बहुत डिमांड है। भांग और कंडाली के रेशे से कपड़े बनाने का श्रेय जाता है यहां के होनहार युवा पुष्कर सिंह को। जिन्होंने बेकार समझे जाने वाले इन पौधों को आमदनी का जरिया बना लिया है। कंडाली और भांग का ऐसा बढ़िया इस्तेमाल भी हो सकता है, ये पहले किसी ने नहीं सोचा था। घाट विकासखंड में राजबगठी ग्रामसभा में एक गांव है गंगतोली, पुष्कर सिंह इसी गांव में रहते हैं।
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पुष्कर दिल्ली में फैशन डिजाइनर की जॉब करते थे। पर पहाड़ में रहने के लिए वो दिल्ली छोड़कर गांव लौट आए। अब वो नंदप्रयाग-घाट रोड के पास अपनी कपड़े सिलने की फैक्ट्री चलाते हैं, जहां कंडाली यानि बिच्छू घास और भांग के रेशे से कपड़े बनाए जाते हैं। इन कपड़ों की डिमांड सिर्फ चमोली या उत्तराखंड में ही नहीं देश के दूसरे राज्यों में भी है। आपको याद होगा कुछ दिन पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनकी कैबिनेट कंडाली से बनी जैकेट पहने नजर आई थी। सीएम ने कंडाली से बने कपड़ों की ब्रांडिंग भी की थी। गौचर मेले में भी सीएम कंडाली के रेशे से बनी हाफ जैकेट पहन कर पहुंचे थे। पुष्कर सिंह ने शहर छोड़कर गांव में काम करने का रिस्क उठाया और आज वो कंडाली के रेशों से बनी जैकेट और मफलर बेचकर लाखों कमा रहे हैं। बाजार में कंडाली और भांग के रेशे से बनी जैकेट की कीमत 3 से 4 हजार रुपये है। पुष्कर ने अपने टैलेंट की बदौलत कंडाली और भांग के रेशे का ना सिर्फ बेहतर इस्तेमाल खोजा, बल्कि इसके जरिए वो क्षेत्र के युवाओं को रोजगार से भी जोड़ रहे हैं।