पहाड़ में रोजगार से जुड़ी अच्छी ख़बर, उद्योगों से रुकेगा पलायन..जानिए नया कानून
ये पहाड़ में रोजगार से जुड़ी अच्छी खबर साबित हो सकती है। नए भूमि कानून से उद्योगपतियों के साथ-साथ पहाड़ के लोगों को भी फायदा होगा...
Jan 21 2020 7:11PM, Writer:कोमल नेगी
त्रिवेंद्र सरकार प्रदेश में उद्योगों और पहाड़ में रोजगार के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए प्रयासरत है। इन कोशिशों के अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं। बड़े-बड़े उद्योगपति उत्तराखंड में निवेश कर रहे हैं। अब प्रदेश सरकार की कोशिश है कि मैदानों के साथ-साथ पहाड़ों में भी औद्योगिक गतिविधियां बढ़ें। इसके लिए उद्योगपतियों को खास रियायत दी जाएगी। प्रदेश में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) संशोधन कानून अब लागू हो गया है। नए भूमि कानून से उद्योगपतियों के साथ-साथ पहाड़ के लोगों को भी फायदा होगा। नए कानून के जरिए पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि पट्टे पर लेना आसान होगा। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि एवं फल संरक्षण, सब्जी उत्पादन, चाय बगान और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पट्टे पर 30 एकड़ तक की भूमि मिल सकेगी। आगे जानिए इस बारे में बड़ी बातें
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पट्टा 30 सालों के लिए दिया जाएगा। पट्टाधारक को अधिकतम 30 एकड़ भूमि पट्टे पर दी जाएगी। विशेष परिस्थिति में 30 एकड़ से अधिक भूमि भी पट्टे पर दी जा सकती है। पट्टा किराया में नकद, उपज या उपज के किसी अंश को शामिल किया जा सकेगा। दिव्यांगों के लिए भी एक अच्छी खबर है। उन्हें कृषि और आवासीय उपयोग के लिए सरकारी भूमि के आवंटन में 5 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। दिव्यांग स्त्रियों को प्राथमिकता दी जाएगी। नये भूमि कानून से प्रदेश में उद्योग स्थापित करना आसान होगा। उद्योगपति पहाड़ में उद्योग लगा सकेंगे। स्थानीय लोगों को भी फायदा होगा। पहाड़ में उद्योग लगेंगे तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विकास रफ्तार पकड़ेगा। गांव- पहाड़ में रोजगार मिलेगा तो लोगों को नौकरी के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा, वो गांव में रहकर ही काम कर सकेंगे, जिससे पलायन रुकेगा।