image: Coronavirus Uttarakhand:Ramshila temple closed first time in 432 years of history

उत्तराखंड के इस प्राचीन मंदिर में टूटी 432 साल पुरानी परंपरा, आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था

432 साल में ऐसा पहली बार हुआ है। यकीन मानिए आज तक इस मंदि में ऐसा कभी भी नहीं हुआ था। जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें..
Apr 4 2020 11:48PM, Writer:कोमल नेगी

कोरोना के डर से इंसान तो क्या भगवान भी मंदिरों में कैद होकर रह गए हैं। जिन मंदिरों के दरवाजे भक्तों के लिए हमेशा खुले रहते थे, वहां अब ताला लटका है। हर तरफ सन्नाटा पसरा है। रामनवमी के मौके पर भी मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा। एक दिल तोड़ने वाली खबर अल्मोड़ा से भी आई। जहां रामशिला मंदिर में रामनवमी के दिन भी पूजा-अर्चना नहीं हुई। पिछले 432 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जबकि मंदिर में रामनवमी के दिन पूजा ना हुई हो। ऐतिहासिक रामशिला मंदिर अल्मोड़ा की खास पहचान है। चलिए आज आपको इस मंदिर समूह का इतिहास भी बताते हैं। रामशिला मंदिर समूह जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट भवन के पास स्थित है। मंदिर समूह की स्थापना सन् 1588 में कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्रचंद ने की थी। आगे जानिए इस मंदिर के बारे में कुछ खास बातें

राजा रुद्रचंद ने जब इसकी स्थापना की

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1588 में कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्रचंद ने जब इसकी स्थापना की, तब से ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के पास में चंद वंशी राजाओं के समय का खजाना रखने वाला लॉकर भी स्थित है, जिसकी श्रद्धालु पूजा करते हैं। रामशिला मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।

यह नौ ग्रह मंदिरों का समूह है

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यह नौ ग्रह मंदिरों का समूह है। समूह के केंद्रीय कक्ष में पत्थर की चरण पादुकाएं हैं। लोग इन्हे भगवान राम की चरण पादुकाओं के रूप में पूजते हैं। मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत देव प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। रामनवमी के दिन यहां श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते थे, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते मंदिर रामनवमी के दिन भी बंद ही रहा। मंदिर बनने के 432 साल में ऐसा पहली बार हुआ है। फिलहाल हमारी आपसे बस इतनी अपील है कि अपना ध्यान रखें


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