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उत्तराखंड: बेसहारा लोगों का सहारा बनीं माता मंगला, देखिए ये कहानी..RJ काव्य की जुबानी

हंस फाउंडेशन के माध्यम से अपने मिशन समाजसेवा को आगे बढ़ा रहीं माता मंगला उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने ‘सेवा अस्माकम धर्म’ यानी सेवा ही मेरा धर्म है वाक्य को अपने जीवन में उतार लिया है। देखिए ये वीडियो
Aug 8 2020 7:00PM, Writer:Komal Negi

मतलब की इस दुनिया में सब खुद में खोये रहते हैं। हम इंसान के चांद पर पहुंचने की कहानियां गढ़ रहे हैं, पर सच तो ये है कि हमारे पास सड़क पार कर पड़ोसी के घर जाने तक का वक्त नहीं है। ऐसे मुश्किल दौर में भी पहाड़ में माता मंगला जैसे कुछ लोग हैं, जो कि अपने सेवाभाव से इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं। रेड एफएम के आरजे काव्य एक शानदार कहानी हम सभी के बीच लेकर आए हैं। हंस फाउंडेशन के माध्यम से अपने मिशन समाजसेवा को आगे बढ़ा रहीं माता मंगला उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने ‘सेवा अस्माकम धर्मः’ यानी सेवा ही मेरा धर्म है वाक्य को अपने जीवन में उतार लिया है। टिहरी गढ़वाल के एक साधारण परिवार में जन्मी माता मंगला आज अपने सेवाभाव से इंसानियत का कद ऊंचा कर रही हैं। उनके नेतृत्व में हंस फाउंडेशन के माध्यम से उत्तराखंड और दूसरे कई राज्यों में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सोशल वेल्फेयर के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं। आगे देखिए वीडियो

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यूं तो हंस फाउंडेशन पिछले 10 साल से उत्तराखंड के हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है, लेकिन कोरोना संकटकाल में हंस फाउंडेशन ने समाजसेवा का दायरा बढ़ा दिया। माता मंगला जानती थीं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो देश को फाइनेंशियल तौर पर मजबूत होना होगा। इसलिए उन्होंने पीएम केयर फंड्स में 4 करोड़ रुपये दान किए। साथ ही सीएम रिलीफ फंड में भी डेढ़ करोड़ रुपये डोनेट किए। उनके नेतृत्व में ऑपरेशन नमस्ते की शुरुआत की गई। जिसके तहत उत्तराखंड, यूपी, बिहार राजस्थान, आंध्रप्रदेश और दिल्ली जैसे कई राज्यों में 12 लाख गरीब परिवारों तक राशन, मास्क और जरूरत की दूसरी चीजें भिजवाई गईं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। सेवा का ये सिलसिला आज भी जारी है। लॉकडाउन के दौरान जब लोग प्रदेश में वापस लौटने लगे तो माता मंगला ने प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में आइसोलेशन सेंटर बनवाए। फ्रंट लाइन पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट दिए। अस्पतालों को एंबुलेंस और वेंटिलेटर डोनेट किए। हंस फाउंडेशन की तरफ से रुद्रप्रयाग, टिहरी और मसूरी के हॉस्पिटल्स को मेडिकल एक्यूपमेंट और एंबुलेंस दी गईं। ऊधमसिंहनगर और चंपावत के क्वारेंटीन सेंटर में 6000 से ज्यादा बेड भिजवाए गए।

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पिछले कई साल से समाज के हर तबके की मदद करती आ रहीं माता मंगला को देशसेवा का ये जज्बा अपने पिता स्व. मातबर सिंह सजवाण से मिला था। जो कि इंडियन एयरलाइंस में थे। अफगानिस्तान में हुए एक टेरेरिस्ट अटैक को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाने के लिए भारत सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। माता मंगला के निर्देशन में अब पौड़ी के लवाड़ में नेशनल स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाया जाएगा। जो कि युवाओं को रोजगार हासिल करने में मदद करेगा, इससे पहाड़ में पलायन रुकेगा। हमारे इतिहास और धर्मग्रंथों में ऐसे महापुरुषों के अनगिनत उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज व दूसरों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भोले जी महाराज और माता मंगला भारतीय संस्कृति की इसी महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। राज्य समीक्षा माता मंगला और भोले जी महाराज के प्रयासों को सलाम करता है। आप भी इस स्टोरी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं, ताकि लोग कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित हों। चलिए अब आपको माता मंगला और हंस फाउंडेशन के प्रयासों पर तैयार एक वीडियो दिखाते हैं, जिसे रेडियो चैनल रेड एफएम के आरजे काव्य ने रेड एफएम के खास शो ‘एक पहाड़ी ऐसा भी’ के सीजन-3 के लिए तैयार किया है। आगे देखें वीडियो



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