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Uttarakhand: विश्वविद्यालय में करोड़ों के घोटाले की जांच में बाधा, इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर का ट्रांसफर

इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर के तबादले की कोई भी वजह रही हो लेकिन इसका सीधा असर इस विश्वविद्यालय के घोटाले की जांच प्रकिया पर पड़ रहा है।
May 26 2025 9:14PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) में करोड़ों रुपये के सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। लेकिन जांच प्रकिया शुरू होते ही जांच की जिम्मेदारी संभालने वाली महिला IAS अधिकारी का तबादला कर दिया गया। जिस कारण मामले की जांच में देरी होने की संभावना है।

Investigating officer of UTU software scam transferred

गौरतलब हो कि, हाल ही में तकनीकी शिक्षा सचिव की जांच के दौरान विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर विकास के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने लखनऊ स्थित एक कंपनी के साथ अनुबंध करके एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (UMS) सॉफ्टवेयर का निर्माण कराया। इसके लिए कंपनी को लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। लेकिन शासन की जांच में मामला उजागर होने पर कंपनी द्वारा इस मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जांच समिति को दिया गया था 15 दिनों का समय

विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर विकास के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच के लिए बीते 5 मई को पांच सदस्यीय कमेटी गठित किए जाने का निर्णय लिया गया। जांच समिति गठन करने के बाद समिति को 15 दिनों का समय भी दिया गया था। लेकिन अब इस मामले में जांच की प्रक्रिया में देरी होती हुई नजर आ रही है। जांच प्रकिया पूरी तरह से तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में हो, इसके लिए समिति में ऐसे सदस्यों को शामिल किया गया था जो तकनीकी रूप से सक्षम हैं। प्रकरण की जांच के संबंध में आयोजित की गई पहली बैठक में सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए गए।

9 दिन बाद इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर का ट्रांसफर

इस जांच समिति में ERP सॉफ्टवेयर के संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया और वित्तीय अनियमितताओं की जांच का कार्य निदेशक आईटीडीए नितिका खंडेलवाल को सौंपा गया था। राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी एसआइसी, वित्त अधिकारी आईटीडीए, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर और एक अन्य अधिकारी को इस समिति में शामिल किया गया था। बीते 5 मई को जांच समिति का गठन किया गया और 9 दिन बाद यानी 14 मई को IAS नितिका खंडेलवाल को निदेशक ITDA के पद से हटा दिया गया। जिसके बाद विश्वविद्यालय की यह जांच प्रकिया भी प्रभावित होती हुई नजर आ रही है।

IAS गौरव कुमार को दी गई जिम्मेदारी

फिलहाल, इस जांच को लेकर कोई अगली बैठक आयोजित नहीं की गई है। IAS नितिका खंडेलवाल को यह जिम्मेदारी निदेशक ITDA के कारण सौंपी गई थी। उनकी ही अध्यक्षता में यह जांच होनी थी, लेकिन ट्रांसफर लिस्ट में यह जिम्मेदारी अब IAS गौरव कुमार को दे दी गई है। इसके बाद यह जांच फिलहाल लटकती हुई नजर आ रही है। IAS गौरव कुमार को इस प्रकिया की शुरुआत से जानकारी लेनी होगी, वहीं इस जांच को आगे बढ़ाने में भी उन्हें काफी समय लगेगा। IAS नितिका खंडेलवाल के तबादले की कोई भी वजह रही हो लेकिन इसका सीधा असर इस जांच प्रकिया पर पड़ रहा है।


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