ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से जुड़ी गुड न्यूज..कड़ी मेहनत के बाद 3 एडिट सुरंग बनकर तैयार
कार्यदायी संस्था ने सितंबर 2018 में तीन एडिट सुरंग बनाने का काम शुरू किया था, जो कि पूरा हो गया है। प्रोजेक्ट के तहत 17 सुरंगें बनाई जानी हैं।
Oct 8 2020 7:35AM, Writer:कोमल नेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहाड़वासी सालों से उत्तराखंड के चार धामों के रेल सेवा से जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं और ये इंतजार अगले कुछ सालों में खत्म होने वाला है। दशकों से प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट विस्तार ले रहा है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि प्रोजेक्ट का काम करा रही कार्यदायी संस्था ने रेल मार्ग के बीच में पड़ने वाले पहाड़ को काट कर तीन एडिट सुरंग तैयार कर ली हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत पहला रेलवे स्टेशन योगनगरी रेलवे स्टेशन भी बनकर तैयार हो चुका है। लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम के मुताबिक ऋषिकेश से आगे पहाड़ पर रेल लाइन पहुंचाने के लिए चंद्रभागा नदी के ऊपर रेलवे पुल बनाया जा रहा है। इसके अलावा ऋषिकेश से आगे के रेल मार्ग के बीच में स्थित पहाड़ों को काटकर सुरंग बनाई जा रही हैं। रेल विकास निगम ने पहाड़ में टनल बनाने का जिम्मा कार्यदायी संस्था एप्को इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। कार्यदायी संस्था ने सितंबर 2018 में तीन एडिट सुरंग बनाने का काम शुरू किया था। आगे पढ़िए
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इन तीन एडिट सुरंगों के निर्माण का काम पूरा हो गया है। नीरगड्डू, शिवपुरी और गूलर दोगी में सुरंग बनकर तैयार है। पहली टनल नीरगड्डू में बनाई गई है, जो कि 201 मीटर लंबी है। दूसरी सुरंग शिवपुरी में बनाई गई। जिसकी लंबाई 555 मीटर है जबकि तीसरी टनल गूलर दोगी में बनी है, जो कि 770 मीटर लंबी टनल है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का रूट 125 किलोमीटर है। इसमें 104 मीटर रेलमार्ग पर 17 सुरंगें बनाई जाएंगी। 3 एडिट टनल बन चुकी हैं। जबकि 14 टनल को बनाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगी केंद्र सरकार पहाड़ों पर रेल पहुंचाने के प्रयास में जुटी है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट के तहत चारों धामों को आपस में जोड़ने के लिए 125 किमी लंबी रेलवे लाइन बनाई जाएगी। परियोजना के तहत 16 पुल, 17 सुरंग और 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित हैं। परियोजना का काम साल 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।