image: Winter may break record in uttarakhand

उत्तराखंड में इस बार रिकॉर्ड तोड़ सकती है ठंड, मौसम विभाग ने दी बड़ी चेतावनी

मौसम वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि हफ्ते भर के बाद मौसम में बदलाव होना शुरू हो जाएगा और तापमान में गिरावट होनी भी शुरू हो जाएगी।
Oct 24 2020 7:25PM, Writer:Komal Negi

इस साल प्रदेश के निवासियों को हर मौसम की मार झेलने पड़ रही है। गर्मी हो या बरसात प्रदेश में इस बार मौसम ने सभी हदों को पार कर दिया है। मॉनसून को बीते ज्यादा समय नहीं बीता है। सबको याद ही होगा कि प्रदेश के निवासियों को मॉनसून सीजन में काफी परेशान होना पड़ा और बरसात की वजह से लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। बता दें कि अब ठंड का मौसम भी दस्तक देने वाला है। इस साल प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ने की पूरी-पूरी संभावना है। इस बार उत्तराखंड में ला नीना का प्रभाव रहेगा। यह क्या है इसके बारे में हम आपको आगे संक्षिप्त से बताएंगे। ला नीना के कारण इस साल उत्तराखंड में ठंड के पिछले सभी रिकॉर्ड्स टूटने की संभावना जताई है। हालांकि अभी प्रदेश में तापमान सामान्य से अधिक है और अभी ठंड ने उत्तराखंड ने पूरी तरह से दस्तक नहीं दी है। मगर तब भी संभावनाएं हैं कि राज्य में इस साल ठंड पिछले सालों के सभी रिकॉर्ड तोड़ेगी। मौसम वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि हफ्ते भर के बाद मौसम में बदलाव होना शुरू हो जाएगा और तापमान में गिरावट होनी भी शुरू हो जाएगी।

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प्रदेश के मौसम में शुष्कता आने लगी है और शुष्क मौसम के कारण पिछले चार-पांच साल के बाद इस बार अक्टूबर में दिन का तापमान नॉर्मल से 1 से 3 डिग्री ज्यादा चल रहा है वहीं रात की बात करें तो रात का तापमान 1 से 2 डिग्री कम हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों का यह मानना है ऐसा उत्तराखंड में 3 से 4 साल में होता है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के मुताबिक 1 सप्ताह के बाद उत्तराखंड का न्यूनतम तापमान 2 डिग्री नीचे जा सकता है जिससे लोगों को ठंड महसूस होने शुरू हो जाएगी। ऐसा ला नीना के कारण हो रहा है। बता दें कि पर्वतीय जनपदों में भी 3-4 दिन में हल्की बारिश और ऊंचाई वाली जगह पर बर्फबारी भी हो सकती है जिससे वहां के तापमान पर असर पड़ेगा और वहां का मौसम शुष्क एवं ठंडा होने लगेगा।

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चलिए आपको बताते हैं कि ला नीना और एल नीनो क्या होता है। ला नीना एक समुद्री प्रक्रिया है जिसमें समुद्र में पानी ठंडा होने लगता है। पानी के ठंडे होने से हवा के ऊपर भी असर पड़ता है और तापमान पर प्रभाव पड़ता है। वही एल नीनो की बात करें तो इसमें ला नीना से बिल्कुल विपरीत होता है यानी कि समुद्र का पानी गर्म होता है और इसके प्रभाव से गर्म हवाएं चलती हैं और दोनों का प्रभाव मानसून पर पड़ता है। बता दें कि इस वर्ष उत्तराखंड में ला नीना की वजह से ठंड काफी अधिक बढ़ने वाली है। पंतनगर विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ आर के सिंह ने भी कहा है कि कमजोर ला लीना की वजह से प्रदेश में सर्दियों में इस बार कड़ाके की ठंड रहेगी।


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