गढ़वाल रियासत की गौरवशाली परंपरा, जिसे पंवार वंश ने शुरू किया था..आज भी निभाई जाती है
गढ़वाल रियासत में पंवार वंश ने शुरु की थी ये गौरवशाली परंपरा..जिससे जुड़ा है श्रीनगर टिहरी और देवलगढ़ का इतिहास
Oct 25 2020 11:02PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा कितनी भव्य और विशाल है, इस बात का अंदाजा तब होता है..जब हमारी आंखों के सामने हमारा गौरवशाली इतिहास जीवंत हो उठता है। इन्हीं में से कुछ गौरवशाली कहानियां हैं हमारे राजपरिवारों की..तो चलिए आज एक बार फिर से उस पुराने वक्त को याद कर लीजिए...दरअसल 25 अक्टूबर को पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पारम्परिक त्योहार दशहरा को पूर्ण विधि विधान से मनाया गया। इस पावन अवसर की सबसे खास बात है शस्त्र पूजन..इस प्राचीन व महत्वपूर्ण परंपरा को भी पारंपरिक रीति रिवाजों के रूप में सम्पन किया गया। इस परंपरा के बारे में टिहरी दरबार के वंशज श्री भवानी प्रताप जो कि वर्तमान में टिहरी दरबार के मुख्य संरक्षक है ने विस्तार से बताते हुए कहा कि इस परंपरा की शुरुआत गढ़वाल रियासत में पवांर वंश के द्वारा आरंभ की गई। महाराज कनकपाल ने दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान चांदपुर गढ़ी से आरम्भ किया था। तत्पश्चात ये परंपरा देवलगढ़ से होते हुए श्रीनगर व टिहरी तक बड़े ही धूम धाम से मनाई जाने लगी। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट में फ्लाइट्स का नया शेड्यूल लागू, 2 मिनट में पढ़िए पूरी जानकारी
रियासत काल मे इस दिन राजकोष की भी घोषणा की जाती थी..इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से जागीदारों, थोकदारों द्वारा दरबार में कुल देवी राजरशेश्वरी की पूजा के साथ भेंट चढ़ाने की प्रक्रिया संम्पन होती है। इसी के साथ समस्त कुल देवताओं व वीरपुरुषों आदि का भी पूजन व स्मरण किया जाता हैं। दशहरा त्योहार पूजन में शस्त्र पूजन राजगुरु आचार्य कृष्णा नंद नौटियाल द्वारा किया गया। केदारनाथ के प्रसाद रूप में ब्रह्म कमल शैलेश नौटियाल द्वारा लाया गया। भगवान श्री बद्री विशाल जी के प्रसाद रूप में तुलसी माला हरीश डिमरी द्वारा लाई गई। इसी के साथ बलि विधान का निर्वाह इस अवसर पर कर्नल. आलोक रावत द्वारा किया गया। इस पावन अवसर पर राजपरिवार के सदस्यों में ठाकुर भवानी प्रताप, ठाकुर कीर्ति प्रताप , डॉ योगंबर सिंह बर्थवाल,मोहन सिंह नेगी,हरीश डिमरी,डॉ अर्चना डिमरी, कुसुम रावत,बद्री प्रसाद उनियाल ,सागर जी महाराज आदि उपस्थित रहे। इसी के साथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भी राजराजेश्वरी की पूजा अर्चना की गई साथ ही सभी ने वर्तमान परिस्तिथियों के जल्द ही सही होने की मंगल कामनाएं की। सनातनी परंपरा व दस्तूर के दशहरा पर्व को लेकर सभी ने शुभकामनाये दी ।