देवभूमि को अय्याशी का अड्डा मत बनाओ..सोशल मीडिया पर वायरल हुई ये शर्मनाक तस्वीरें
गंगा नदी के खूबसूरत तट...जो कभी साधकों की तपस्थली हुआ करते थे, वो अब दारू पार्टी और अय्याशी के अड्डे बनते जा रहे हैं। आगे पढ़िए पूरी खबर
Nov 4 2020 5:02PM, Writer:Komal Negi
देवभूमि उत्तराखंड। ये वो धरती है, जिसने पूरे संसार को अध्यात्म और शांति का मार्ग दिखाया। प्रकृति से प्रेम करना और उसे सम्मान देना सिखाया, लेकिन कुछ पर्यटक इसका सम्मान करना आज तक नहीं सीख पाए। पर्यटन से सरकार को राजस्व तो मिल रहा है, लेकिन इसकी कीमत ना सिर्फ प्रकृति को बल्कि हमारी संस्कृति को भी चुकानी पड़ रही है। गंगा के तट, जो कभी साधकों की तपस्थली हुआ करते थे, वो अब दारू पार्टी और अय्याशी के अड्डे बनते जा रहे हैं। एक ऐसी ही शर्मनाक और दिल तोड़ देने वाली तस्वीरें अपने ऋषिकेश से आई है। जहां कुछ युवक गंगा किनारे हुक्का फूंकते नजर आए। सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हुई तो पहाड़ के लोगों का गुस्सा भड़क उठा। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठने लगी, लेकिन सच यही है कि दो दिन हल्ला करने के बाद ये मसला भी बिसरा दिया जाएगा। राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले ही पर्यटकों को उत्तराखंड में दाखिल होने की छूट दी है। जिसके बाद बसों-कारों में भर भरकर पर्यटक उत्तराखंड पहुंचने लगे हैं, लेकिन ये लोग उत्तराखंड आकर क्या कर रहे हैं, आप खुद ही देख लीजिए। आगे पढ़िए
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गंगा तट की सात्विकता के साथ खिलवाड़ हो रहा है। नियमों को ताक पर रख कुछ पर्यटक अपनी मनमानी कर रहे हैं, लेकिन पर्यटन विभाग हमेशा की तरह खामोश है। एडवेंचर स्पोर्ट्स की आड़ में गंगा तटों पर अनैतिक कार्य हो रहे हैं। ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं वो टिहरी जिले के शिवपुरी क्षेत्र की है। जहां कुछ पर्यटक हुक्का फूंकते नजर आए। तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो हंगामा होने लगा, होना भी चाहिए। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी। जो लोग नदियों के जल को दूषित कर रहे हैं। हमारे पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके खिलाफ एक्शन कब लिया जाएगा। जिला पर्यटन विभाग टिहरी में बैठे-बैठे साहसिक गतिविधियों की निगरानी कर रहा है, जो कि मुनिकीरेती से 90 किलोमीटर दूर है। गंगा तटों पर क्या हो रहा, इससे किसी को कोई मतलब नहीं। पर्यटन विभाग की लापरवाही का फायदा उठाकर कुछ पर्यटक मनमानी कर रहे हैं। मामला उत्तराखंड की अस्मिता से जुड़ा है, देवभूमि की छवि से जुड़ा है। अगर पर्यटन विभाग इस मुद्दे को लेकर थोड़ा भी संजीदा होता, तो इस तरह की गतिविधियों को रोका जा सकता था, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद विभाग ने जांच की बात जरूर कही है।