उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां और खूबसूरत पहाड़ी गीत..आप भी देखिए वीडियो
‘रूपसा’ में पहाड़ के लोक संगीत की मिठास है, संस्कृति की झलक है और साथ ही है वो मासूमियत, जो पहाड़ी जीवनशैली की सबसे खूबसूरत बात है। देखें वीडियो
Nov 15 2020 10:01PM, Writer:Komal Negi
‘रूपसार मोती घुंघुर न बजा छम...’ जिन लोगों का बचपन पहाड़ में बीता है, उन्होंने ये गीत अपनी जिंदगी में कभी ना कभी जरूर सुना होगा। सालों पहले जब लोगों के दिन की शुरुआत रेडियो के गीतों से होती थी, तो इस गीत के बजने का लोग बेसब्री से इंतजार किया करते थे। कानों में मधुर रस घोल देने वाला ये कुमाऊंनी गीत आज भी पहाड़ की संस्कृति, यहां के लोक संगीत का गहरा हिस्सा है। यूं तो आप इस गीत को कई बार सुन चुके होंगे, लेकिन अब आज की युवा पीढ़ी की प्रस्तुति भी देख लें। एन्कोर कलेक्टिव एक बार फिर अपनी नई प्रस्तुति लेकर आए हैं, जिसका टाइटल है ‘रूपसा’। जी हां, ये हमारा वही जाना-पहचाना कुमाऊंनी लोकगीत है, लेकिन जो नई बात इस गीत में है वो है इसका शानदार प्रजेंटेशन। लोकगीतों के साथ इतने खूबसूरत एक्सपेरिमेंट्स भी हो सकते हैं, ये बात आप ‘रूपसा’ का वीडियो देखने के बाद ही समझ पाएंगे। ‘रूपसा’ को अपनी खूबसूरत आवाज से सजाया है दिग्विजय सिंह परियार ने। इनकी आवाज से सजा ये ठेठ कुमाऊंनी गीत आपको कानफोड़ू रिमिक्स के दौर में सुकून का सुखद अहसास कराएगा।
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वीडियो बेहद शानदार बन पड़ा है। गमशाली की खूबसूरत लोकेशन पर शूट हुआ ये वीडियो आपको एक बार फिर पहाड़ लौटने पर मजबूर कर देगा। ‘रूपसा’ में पहाड़ के लोकसंगीत की मिठास है, संस्कृति की झलक है और साथ ही है वो मासूमियत, जो पहाड़ी जीवनशैली की सबसे खूबसूरत बात है। यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गीत को बहुत पसंद किया जा रहा है, हजारों लाइक्स मिल चुके हैं, इसे अब तक हजारों बार शेयर किया जा चुका है। ‘रूपसा’ ने दुनिया को उत्तराखंड के लोक संगीत और पहाड़ की खूबसूरती को देखने का एक अलग नजरिया दिया है। चलिए अब आपको ‘रूपसा’ का वीडियो दिखाते हैं, उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगा। इसे लेकर अपने सुझाव भी हमारे साथ जरूर शेयर करें। आगे देखें वीडियो