image: 4 children sought help from DM in Pithoragarh

उत्तराखंड: गुलदार ने मां को मार डाला, पिता हैं लापता..4 अनाथ बच्चों ने DM से मांगी मदद

गुलदार के हमले में मरने वाली सीमा देवी का पति पिछले 12 साल से लापता है। तब से सीमा ही बकरी पालकर और घास बेचकर बच्चों का लालन-पालन कर रही थी। सीमा की मौत के बाद बच्चे अनाथ हो गए हैं।
Feb 2 2021 11:26PM, Writer:Komal Negi

अगर आप को अपनी जिंदगी से ढेरों शिकायतें हैं, तो जरा ऊपर दिख रही तस्वीर पर गौर कर लें। इस तस्वीर में दिख रहे ये चारों बच्चे पिछले दिनों अनाथ हो गए। पिथौरागढ़ में रहने वाले इन बच्चों की मां पिछले दिनों गुलदार के हमले में मारी गई। तब से बच्चों के सामने परवरिश का संकट पैदा हो गया है। क्षेत्र के लोगों ने पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की, ताकि उनके जीवन की गाड़ी आगे बढ़ सके। अनाथ बच्चों की समस्याओं को लेकर सोमवार को जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोरा ने पिथौरागढ़ जिलाधिकारी से मुलाकात की। उन्होंने महिला की बेटी को रोजगार देने की मांग की। डीएम ने भी हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया है। गुलदार के हमले में मरने वाली महिला का नाम सीमा देवी था। 40 साल की सीमा देवी देवलथल के हराली गांव में अपने 4 बच्चों के साथ रहती थी। सीमा देवी का पति पिछले 12 साल से लापता है। तब से सीमा ही बकरी पालकर और घास बेचकर बच्चों का लालन-पालन कर रही थी। जिंदगी किसी तरह कट ही रही थी, लेकिन 25 जनवरी को इस परिवार पर एक बार फिर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सीमा देवी रोज की तरह जंगल गई हुई थी। इसी दौरान गुलदार ने सीमा देवी पर हमला कर उसे मार डाला। आगे पढ़िए

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पिता सालों से लापता थे और अब मां भी नहीं रही। ऐसे में सीमा देवी के चार बच्चों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सीमा देवी के दो बेटे और दो बेटियां हैं। फिलहाल पड़ोस के लोग इस परिवार की मदद कर रहे हैं, लेकिन यह मदद ज्यादा लंबी नहीं चल पाएगी। सीमा देवी की दो बेटियां डिग्री कॉलेज में पढ़ती हैं। जबकि दो बेटे स्कूल में पढ़ रहे हैं। बच्चों की परेशानी को समझते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने सोमवार को डीएम से मुलाकात की और पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की। वहीं जिलाधिकारी ने परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने का आश्वासन दिया है। राज्य समीक्षा शासन-प्रशासन और समाजसेवी संगठनों से पीड़ित परिवार की मदद करने की अपील करता है। जितना संभव हो इन बच्चों की मदद करें। उन्हें अहसास दिलाएं कि दुख की इस घड़ी में वो अकेले नहीं हैं। पूरा उत्तराखंड उनके साथ है।


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