उत्तराखंड में नेक पहल..कोरोना से मां-पिता को खो देने वाले बच्चों की जिम्मेदारी लेगी सरकार
ऐसे बच्चों को हर महीने भत्ता देने के अलावा सरकारी नौकरी पाने में भी आसानी होगी। पढ़िए राज्य सरकार की यह सराहनीय पहल
May 24 2021 1:37AM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में कोरोना ने जबसे दस्तक दी है तबसे कई जिंदगियां हमसे छीन ली हैं। यह जानलेवा वायरस अबतक कई लोगों की जान ले चुका है। सैकड़ों लोग अपने परिजनों को खो चुके हैं। लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं और तेजी से जान गंवा रहे हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर उन बदकिस्मत बच्चों के ऊपर सबसे अधिक मुसीबत बनकर टूट पड़ी है जिन्होंने इस महामारी में अपने माता और पिता दोनों को खो दिया है और बेसहारा हो गए हैं। उत्तराखंड में कई बच्चों के ऊपर से माता और पिता दोनों का साया हट चुका है। कोविड ने कई अभागे बच्चों से उनके माता-पिता को छीन लिया है और अब उनके पास कोई सहारा नहीं है। ऐसे बेसहारा बच्चों के वर्तमान के साथ ही भविष्य के ऊपर भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इन बच्चों को कौन पालेगा, कौन इनका लालन-पोषण करेगा जैसे तमाम सवाल खड़े हो जाते हैं। ऐसे ही बेसहारा बच्चों की तरफ उत्तराखंड सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाया है। कोविड की महामारी के चलते अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक अहम घोषणा की है।
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह घोषणा की है कि कोविड की महामारी में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को 21 वर्ष की आयु तक मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत प्रति माह 3000 का भत्ता दिया जाएगा। सीएम रावत ने फेसबुक पर यह एलान किया है। दरअसल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा की थी कि जिन भी राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां कोविड के कारण माता-पिता को खो कर अनाथ हुए बच्चों के लिए योजनाएं लाई जाएंगी। ऐसे में कई राज्य ऐसे अनाथ बच्चों की तरफ सहयोग और सहानुभूति का हाथ बढ़ा रहे हैं जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने भी कोविड काल में अनाथ हुए बच्चों को सहारा दिया है और इस कठिन समय में उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। जिसके बाद उत्तराखंड में कोविड के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को राज्य सरकार की ओर से 21 साल की आयु तक " मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना " के तहत प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जाएंगे। सीएम तीरथ सिंह रावत ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है।
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महामारी में अनाथ हुए बच्चों को हर महीने 3 हजार रुपए भत्ते के साथ ही बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए राज्य सरकार उनकी शिक्षा के ऊपर भी पूरा ध्यान देगी और इस योजना के तहत ऐसे बच्चों के लिए सरकारी नौकरी में 5 प्रतिशत का कोटा भी रखा जाएगा। और इस योजना के तहत अनाथ बच्चों की पैतृक संपत्ति पर और कोई भी हक़ नहीं जता सकता। बच्चों के व्यस्क होने तक उनकी पैतृक संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी को भी नहीं होगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा सोशल मीडिया पर यह घोषणा की गई है जिसके बाद उत्तराखंड सरकार के इस फैसले की हर कोई सराहना कर रहा है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा - आपकी सरकार ने यह तय किया है कि प्रदेश के सभी ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोविड -19 महामारी से अपने माता-पिता को खोया है, उन सभी की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। इसके लिए हम 'मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना' लेकर आए है । राज्य के ऐसे बच्चों की आयु 21 वर्ष होने तक उनके भरण-पोषण व शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। उनको प्रतिमाह 3000 रुपए भत्ता दिया जाएगा। इन बच्चों के वयस्क होने तक उनकी पैतृक संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी को नहीं होगा। यह जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी की होगी। ऐसे सभी बच्चों को राज्य की सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा।