गढ़वाल: सरकारी स्कूल से की पढ़ाई, अब डिप्टी SP बन गई ये बेटी..मिला स्वॉर्ड ऑफ ऑनर
पहाड़ में बेटियों के लिए शिक्षा जारी रख पाना आसान नहीं होता, लेकिन रीना डटी रहीं, कभी हार नहीं मानी। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली ये होनहार बिटिया आज पुलिस अफसर बन गई है।
Jun 28 2021 11:20AM, Writer:Komal Negi
किसी ने सच ही कहा है। संघर्ष जितना कठिन हो, सफलता उतनी ही शानदार होगी। अब उत्तराखंड की होनहार बेटी रीना राठौर को ही देख लें। सामान्य किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली रीना राठौर ने पुलिस विभाग में डिप्टी एसपी बन परिवार और प्रदेश का मान बढ़ाया है। आज हम रीना की सफलता देख रहे हैं, लेकिन ये सफलता उन्हें यूं ही नहीं मिली। रीना मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के मुनिकीरेती क्षेत्र की रहने वाली हैं। परिवार खेती-किसानी से जुड़ा है। पहाड़ में बेटियों के लिए शिक्षा जारी रख पाना आसान नहीं होता, लेकिन रीना डटी रहीं। उनकी पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई। हर क्लास में उन्होंने टॉप किया। बाद में वो हायर एजुकेशन के लिए ऋषिकेश आईं और यहां से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने की वजह से रीना के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी भी थी।
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कॉलेज में अच्छे मार्क्स मिलने पर उन्हें तत्कालीन सीएम रहे भुवनचंद्र खंडूड़ी ने स्कॉलरशिप के तौर पर 55 हजार रुपये दिए। इसके बाद रीना आईएएस की तैयारी करने के लिए दिल्ली चली गईं। कुछ वक्त बाद रीना का चयन खंड विकास अधिकारी के पद पर हुआ, लेकिन उन्होंने ज्वॉइन नहीं किया। बाद में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से परीक्षा देने के बाद वो उप शिक्षा अधिकारी बनीं। कुछ साल तक उन्होंने इस पद पर सेवाएं भी दीं, लेकिन कानून व्यवस्था से जुड़कर समाज के लिए कुछ बेहतर करने की चाह हमेशा मन में बनी रही। उनका चयन सीआरपीएफ में असिस्टेंड कमांडेंट के पद पर भी हुआ था, लेकिन रीना ने पुलिस सेवा ज्वाइन करने के लिए ये जॉब भी छोड़ दी। अब उनका चयन उत्तराखंड पुलिस में बतौर डिप्टी एसपी हुआ है।
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गुरुवार को पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेंद्रनगर में हुई पासिंग आउट परेड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रीना राठौर को सर्वोत्तम प्रदर्शन करने पर स्वार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया। रीना बताती हैं कि वो डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन डॉक्टरी की पढ़ाई में खर्चा ज्यादा था। इसलिए उन्होंने आईएएस परीक्षा की तैयारी की। पहाड़ में आज भी अंग्रेजी का पाठ्यक्रम 5वीं कक्षा के बाद शुरू होता है, इसलिए उन्होंने द्वारीखाल में उप शिक्षा अधिकारी रहते हुए खुद के खर्चे पर बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दी थी। जिसकी बदौलत क्षेत्र के 15 से ज्यादा बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया। इस तरह पहाड़ के सरकारी स्कूल से पढ़कर डिप्टी एसपी बनने वाली रीना राठौर ने साबित कर दिया कि अगर हम ठान लें तो सबकुछ संभव है। राज्य समीक्षा टीम की तरफ से उन्हें बधाई। रीना राठौर की सफलता पहाड़ की दूसरी बेटियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।