image: Story of mata anusuya temple uttarakhand chamoli

देवभूमि की देवी अनुसूया, जिनके आगे मासूम बच्चे बन गए थे ब्रह्मा, विष्णु, महेश

आज हम आपको देवभूमि के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जिनकी दैवीय शक्ति के आगे ब्रह्मा, बिष्णु और महेश भी बच्चे बन गए थे।
May 11 2018 7:41PM, Writer:कपिल

उत्तराखंड में पग पग देवताओं का वास कहा जाता है। ये भूमि ही दुनिया में देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो असीम शक्तियों की जननी है। उत्तराखंड के चमोली जिले में मंडल से करीब 6 किलोमीटर ऊपर ऊंचे पहाड़ों पर मौजूद है माता अनुसूया का मंदिर। अकर आपको इस दैवीय स्थान की अलौकिक छवि देखनी है तो यहां होने वाले नौदी मेले में आइए, जिसमें अलग अलग गांवों से लोग देव डोलियों को लेकर पहुंचते हैं। पौराणिक मान्यताएं हैं कि इस मंदिर में जप करने से निसंतानों को संतान प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इसी जगह पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश को बच्चे के रूप में बदल दिया था। बाद में काफी तप करने के बाद ही त्रिदेव अपने असली रूप में आ सके थे।

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इसके पीछे एक अद्भुत कहानी है। कहा जाता है कि इस मंदिर के पास ही अनसूया आश्रम था। इसी आश्रम में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अनुसूया माता के सतीत्व की परीक्षा ली थी। दरअसल महर्षि नारद ने त्रिदेवियों यानी माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी से कहा था कि तीनों लोकों में अनसूया माता से बढ़कर कोई सती नहीं है। महर्षि नारद की बाते सुनकर त्रिदेवियों ने त्रिदेवों को अनसूया माता की परीक्षा लेने के लिए भेज दिया। धरती पर जब तीनों देवता माता अनसूया के आश्रम में साधु के वेश में आए, तो उनसे नग्नावस्था में भोजना करवाने के लिए कहा। साधुओं को खाली पेट वापस भेजा नहीं जा सकता था। तब मां अनसूया ने अपने पति अत्रि ऋषि के कमंडल से तीनों देवताओं पर जल छिड़का। कहा जाता है कि इसके बाद तीनों देवता बाल रूप में चले गए।

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बाल रूप में जाने की वजह से तीनों देवता अपने स्थानों पर वापस नहीं पहुंचे। तीनों देवियां परेशान होकर इस आश्रम में जा पहुंची। वहां तीनों ने माता अनसूया से क्षमा याचना कर तीनों देवों को उनके मूल स्वरूप में प्रकट करवाने के लिए कहा। सती अनसूया ने तीनों बच्चों पर जल छिड़ककर उन्हें उनका पूर्व रूप प्रदान किया। कहा जाता है कि उस वक्त स्वर्ग के देवताओं को भी अपनी भूल का आभास हो गया था। सभी ने माता से क्षमा मांगी। इसके बाद ब्रह्मा ने चंद्रमा, शिव ने दुर्वासा और विष्णु ने दत्तात्रेय के रूप में माता अनसूया की गोद से जन्म लिया। इस वजह से माता अनुसूया को 'पुत्रदा' कहा जाता है। सती मां अनसूया को पुत्रदायिनी के रूप में पूजा जाता है। मंडल से 5 किलोमीटर पैदल चढ़ाई चढ़कर सती माता अनसूया के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।


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