उत्तराखंड की ‘बुलेट रानी’..जिसका सभी ने मज़ाक उड़ाया, फिर भी सपना पूरा कर दिखाया
ये कहानी सिर्फ बुलेट चलाने वाली एक लड़की की नहीं है। ये कहानी सड़क पर दौड़ते सपनों को पूरा करने की ज़िद है। समाज से लड़कर कुछ अलग कर दिखाती है बुलेट रानी।
Sep 14 2018 3:29PM, Writer:रश्मि पुनेठा
उत्तराखंड के घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर सरपट दौड़ती बुलेट बाइक आपने कई बार देखी होगी और इसमें कोई खास बात भी नहीं है। लेकिन जब इस भारी भरकम बाइक को एक लड़की चला रही हो तो एक बार के लिए ध्यान उसकी तरफ खिंच जाता है। आत्मविश्वास से लबरेज, समाज के तानों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकलने वाली, बेहतरीन ढंग से बाइक कंट्रोल करने वाली ये लड़की हल्द्वानी की निया ठाकुर है। निया आज कल जहां से अपनी बाइक से गुजरती है, वहां चर्चा का विषय बन जाती है। LLB की छात्रा निया ठाकुर ने पूरे शहर के साथ साथ उत्तराखंड में एक मिसाल पेश कर दी है। मिसाल बस इसलिए नहीं की वो बुलेट चलाती है, बल्कि इसलिए भी कि हल्द्वानी में निया पहली लड़की है जिसने अपने दम और जिद के चलते बाइक खरीदी है। निया का बाइक खरीदने का सपना आसानी से पूरा नहीं हुआ है। इस सपने के लिए उसे अपने रिश्तेदारों और समाज के उपहास को झेलना पड़ा।
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लोगों ने कहा कि एक लड़की कैसे बुलट चलाएगी। उसने सबके सामने बुलेट खरीदने की इच्छा रखी तो दोस्तों और रिश्तेदारों ने स्कूटी, मेस्ट्रो और पुरानी कार लेने की सलाह दे दी। लोगों की इस तरह की बाते सुनने के बाद निया बताती है कि उनका निश्चय और पक्का हो गया। बुलेट रानी निया ने बताया कि 17 साल की उम्र में उन्होंने अखबार के साथ करना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने पैसे जमा किए और लोगों की बातों की परवाह किए बिना अपने सपने को हकीकत में बदल दिया। हालांकि निया बताती है कि जब वो अपने लिए बुलेट खरीदने रानीबाग स्थित शोरूम में गई और बुलेट खरीदने के बारे में बताया तो वहां मौजूद सब लोग हैरत से देखने लगे। निया को लगा कि जैसे वो इस ग्रह की हैं ही नहीं। बैंक वालो ने लोन के लिए मना कर दिया।
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लेकिन निया ने हार नहीं मानी और सवाल किया कि एक लड़की बुलेट क्यों नहीं खरीद सकती है? इसका जवाब किसी के पास नहीं था और आखिरकार निया का लोन पास हो गया। उस वक्त बाइक चलानी नहीं आती थी तो बुलेट लेने निया अपने भाई के साथ शोरुम में गई थी। लेकिन जब वो खुद बाइक चलाकर सर्विस कराने पहुंची तो उस वक्त सब हैरत में थे। मध्यम वर्ग परिवार में तालुक करने वाली निया का जन्म दिल्ली में हुआ। उनकी शिक्षा पहले हल्द्वानी में फिर दिल्ली फिर हल्द्वानी और ग्रेजुएशन कानपुर से पूरी हुई है। उन्होंने 17 साल की एक अखबार में काम करना शुरु कर दिया था। और इसके साथ ही शुरु हुआ उनका अपना सपना पूरा करने का सफर। निया ने लोगों की बातों के सामने हार नहीं मानी और आज वो अपना सपना हकीकत में जी रही है।